Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainand Pustakalay
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त्ता वाहणाई संपमजइ त्ता वाहणाई णीणेइ त्ता वाहणाई अफालेइ त्ता दूसे पवीणेइ त्ता वाहणाई समलंकरेइ त्ता वाहणाई वरभंडकमंडियाई करेइत्ता वाहणाई जाणाइंजोएइत्ता पओदलट्ठि पओअधरे असंमंआडहइ त्ता वट्टमग्गंगाहेइत्ता जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छइ त्ता बलवाउअस्स एअमाणत्तिअं पच्चप्पिणइ, तए णं से बलवाउए णयरगुत्तिए आमंतेइ त्ता एवं व०-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! चंपं णयरिं सभितरबाहिरियं आसित्त जाव कारवेत्ता एअमाणत्तिअं पच्चप्पिणाहि, तए णं से एयरगुत्तीए बलवाउअस्स एअमंटुं आणाए विणएणं पडिसुणेइत्ता चंपंणयरिं सब्भितरबाहिरियं आसित्त जाव कारवेत्ता जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छइत्ता एअमाणत्तिअंपच्चप्पिणइ, तए णं से बलवाउए कोणिअस्सरण्णो भंभसारपुत्तस्स आभिसेकं हत्थिरयणं पडिपिअं पासइ हयगय जाव सण्णाहिअंपासइ सुभद्दापमुहाणं देवीणं पडिजाणाई उवट्ठविआई पासइ चंपंणयरिं सब्भितरजाव गंधवट्टिभूअं कयं पासइ त्ता हतुद्वचित्तमाणदिए पीअमणे जाव हिअए जेणेव कूणिए राया भंभसारपुत्ते तेणेव उवागच्छइ त्ता करयलजाव एवं व०-कप्पिए णं देवाणुप्पियाणं आभिसिक्के हत्थिरयणे हयगयपवरजोहकलिआ य् चाउरंगिणी सेणा सण्णाहिआ सुभद्दापमुहाणं चदेवीणं बाहिरियाए अउवट्ठाणसालाएं पाडिएकपाडिएक्काई जत्ताभिमुहाई जुत्ताई जाणाई उवट्ठावियाई चंपायरी सल्भितरबाहिरिया आसित्तजाव गंधवट्टिभूआ क्या तं निजतुणं देवाणुप्पिया! समणं भगवं महावीरं अभिवंदा ३०तए णं से कूणिए राया भंभसारपुत्ते बलवाउअस्स अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म हट्ठतुटुआवहिअए जेणेव अदृणसाला तेणेव उवागच्छइ त्ता अट्टणसालं अणुपविसइ ॥ औपपातिकमुपांग ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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