Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainand Pustakalay

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Page 77
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्यणि तिभागूणिया य बोद्धव्वा । एसा खलु सिद्धाणं मज्झिम ओगाहणा भणिया ॥१४॥एक्का यहोइ रयणी साहीया अंगुलाई अट्ठ भवे । एसा खलु सिद्धाणं जहण्ण ओगाहणा भणिया॥१५ ॥ओगाहणाए सिद्धा भवत्तिभागेण होन्ति परिहीणा संठाणमणिथं जरामरणविष्यमुक्काणं ॥ १६ ॥ जत्थ य एगो सिद्धो तत्थ अणंता भवक्ख्यविमुक्का । अण्णोऽण्णसमवगाढा पुट्ठा सव्वे य लोगते ॥ १७ ॥ फुसइ अणते सिद्धे सव्वपएसेहिं णियमसो सिद्धो । तेवि असंखेजगुणा देसपएसेहिं जे पुट्ठा ॥ १८ ॥ असरीरा जीवधणा उवउत्ता दसणे यणाणे योसागारमणागारं लक्खणमेयं तु सिद्धाणं ॥१९॥ केवलणाणुवउत्ता जाणंती सव्वभावगुणभावे पासंति सव्वओ खलु केवलदिट्ठीहऽणताहि ॥२०॥णवि अस्थि माणुसाणं तं सोक्खं णविय सव्वदेवाणं । सिद्धाणं सोक्खं अव्वाबाहं उवगयाणं ॥ २१ ॥ज देवाणं सोक्खं सवद्धापिंडियं अणंतगुणं ।णय पावइ मुत्तिसुहं णंताहिं वग्गवग्गृहि ॥ २२ ॥ सिद्धस्स सुहोरासी सव्वद्धापिंडिओ जइहवेज्जासोऽणंतवग्गभइओ सव्वागासे णमाएज्जा ॥ २३ ॥जह णाम कोइ मिच्छो नगरगुणे बहुविहे वियाणंतोन चएइ परिकहेउं उवमाए तहिं असंतीए ॥२४॥इय सिद्धाणं सोक्खं अणोव णत्थि तस्स ओवम्म । किं चि विसेसेणेत्तो ओवभ्भमिणं सुणह वोच्छं ॥ २५ ॥जह सव्वकामगुणियं पुरिसो भोत्तूण भोयणं कोई तण्हाछुहाविमुक्कोअच्छेज्ज जहा अमियतित्तो ॥ २६ ॥इ सव्वकालतित्ता अतुलं निव्वाणमुवगया सिद्धासासयमव्वाबाहं चिटुंति सुही सुहं पत्ता ॥ २७ ॥ सिद्धत्तिय बुद्धत्तिय पारगयत्तिय परंपरगयत्ति उम्मुक्तकम्भकव्या अजरा अमरा असंगाय॥२८॥णिच्छिण्णसव्वदुक्खा जाइजरामरणबंधण-विमुक्का/ ॥ औषपातिकमुपांग ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only

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