Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainand Pustakalay

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Page 54
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandir |बंधइ वेअणिजपि कम्म बंधति, णण्णत्यं चरिममोहणिज कम वेदेमाणे वेअणिज कम बंधइ णो मोहणिज कम्म बंधइ ३, जीवे|| णं भंते ! असंजए अविरए अप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे सकिरिए असंवुडे एगंतदंडे एगंतबाले एगंतसुत्ते ओसण्णतसपाणघाती कालमासे कालं किच्चा णेरइएसु उववजति?, हंता उववज्जति ४, जीवे णं भंते ! असंजए अविरए अपडिहयपच्चक्खायपावकम्मे इओ चुए पेच्चा देवे सिआ?, गोअमा ! अत्थेगइए देवे सिया अत्थेगइए णो देवे सिया, सेकेण्डेणं भंते! एवं वु०-अत्थेगइए देवे सिआ अत्थेगइए णो देवे सिआ ?, गोयमा ! जे इमे जीवा गामागरणयरणिगमरायहाणिखेडकब्बडमडंबदोणमुहपट्टणासमसंबाहसण्णिवेसेसुअकामतण्हाए अकामछुहाए अकामबंभचेरवासेणंअकामअण्हाणकसीयायवदंसमसगसेअजल्लमल्लपंकपरितावेणं अप्पतरो वा भुज्जतरो वा कालं अप्पाणं परिकिलेसंति त्ता कालमासे कालं किच्चा अण्णरेसु वाणमंतरेसुदेवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तहिं तेसिं गती तहिं तेसिं ठिती तहिंतेसिं उववाए पं०, तेसिं णं भंते ! देवा परलोगस्साराहगा?, णो तिणढे समढे ५, से जे इमे गामागरणयरणिगमरायहाणिखेडकब्बडम्डंबदोणमुहपट्टणामसमसंबाहसण्णिवेसेसु मणुआ भवंति, तं०-अंडुबद्धका णिअलबद्धका हडिबद्धका चारगबद्धका हत्थच्छिन्नका पायच्छिन्त्रका कण्णच्छिण्णका णकच्छिण्णका उदृच्छिन्नका जिब्मच्छिन्नका सीसच्छिन्नका मुखच्छिन्नका मज्झच्छिन्नका वेकच्छच्छिन्त्रका हियउप्पाडियगा गयणुप्पाडियगा दसणुप्पाडियगा वसणुपडिया गीवच्छिण्णका तंडुलच्छिण्णका कागणिमंसक्खाइयया ओलंबिया लंबिअया घंसिअया घोलिअया फाडिअया पीलिअया सूलाइअया । औपपातिकमुपांग ॥ | ४३ । पू. सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only

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