Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainand Pustakalay

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Page 28
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ओवणिहिए परिमितपिंडवाइए सुद्धेसणिए संखादत्तिए, से तं भिक्खायरिया से किं तं रसपरिच्चाए ?, २ अणेगविहे पं० तं०णिव्वि (य) तिए पणी अरसपरिच्चाए आयंबिलए आयामसित्थभोई अरसाहारे विरसाहारे अंताहारे पंताहारे लूहा (तुच्छा पा० )हारे, से तं रसपरिच्चाए, से किं तं कायकिले से ?, २ अणेगविहे पं० तं०-ठाणद्वितीए (ठाणाइए पा० ) उक्कुडुआसणिए पडिमट्ठाई वीरासणिए नेसज्जिए दंडायए लउडसाई (लगंडसाई पा० ) आयावर अवाउडए अकंडूअए अणिट्ठूहए ( धुयके समंसुलोमा पा० ) सव्वगायपरिकम्मविभूसविष्यमुक्के. से तं कायकिलेसे, से किं तं पडिलीणया ? २ चउव्विहा पं० तं० - इंदिअपडिसंलीणया कसायपडिसंलीणया जोगपडिसंलीणया विवित्तसयणासणसेवणया, से किं तं इंदियपडिसंलीणया ?, २ पंचविहा पं० तं०सोइंदियविसयपयार निरोहो वा सोइंदियविसयपत्तेसु अत्थेसु रागदोसनिग्गहो वा चक्खिंदिय० विसयपयार निरोहो वा चक्खिंदियविसयपत्तेसु अत्थेसु रागदोसनिग्गहो वा घाणिंदियविसयपयार निरोहो वा घाणिदियविसयपत्तेसु अत्थेसु रागदोसनिग्गहो वा जिब्भिदियविसयप्यार निरोहो वा जिब्भिदियविसयपत्तेसु अत्थेसु रागदोसनिग्गहो वा फासिंदियविसयपयार निरोहो वा फासिंदियविसयपत्तेसु अत्थेसु रागदो सनिग्गहो वा, से तं इंदियपडिसंलीणया, से किं तं कसायपडिसंलीणया ?, २ चउव्विहा पं० तं०- कोहस्सुदयनिरोहो वा उदयपत्तस्स वा कोहस्स विफलीकरणं माणस्सुदयनिरोहो वा उदयपत्तस्स वा माणस्स विफलीकरणं मायाउदयणिरोहो वा उदयपत्ताए वा मायाए विफलीकरणं लोहस्सुदयणिरोहो वा उदयपत्तस्स वा लोहस्स विफलीकरणं, से तं कसायपडि संलीणया, से किं तं जोगपडिसंलीणया ?, २ तिविहा 11 औपपातिकमुपांगं ।। १७ पू. सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only

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