Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainand Pustakalay

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Page 26
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandir वा उग्गहिएइ वा वग्गहिए वा जाणं जाणं दिसं इच्छंति तणं तंणं दिसं सूइभूया लघुभूया अणप्पगंथा विहरन्ति पा०) खेत्तओ|| गामे वा णयरे वा रण्णे वा खेत्ते वा ख्ले वा घरे वा अंगणे वा कालओ समए वा आवलियाए वा जाव अयणे वा अण्णतरे वा दीहकालसंजोगे भावओ कोहे वा माणे वा मायाए वा लोहे वा भए वा हासे वा० एवं तेसिंण भवइ, ते प अट्ठ गिम्हहेमंतिआणि मासाणि गामे एगराइआ गयरे पंचराइआ वासीचंदणसमाणकप्या समलेठुकंचणा समसुहदुक्खा इहलोगपरलोगअप्पडिबद्धा संसारपारगामी कम्मणिग्घायणढाए अब्भुट्ठिआ विहरंति ११७ तेसिं णं भगवंताणं एतेणं विहारेणं विहरमाणाणं इमे एआरूवे (जायामायावित्ती अदुत्तरं च णं पा०) अभितरबाहिरए तवोवहाणे होत्था तं०-अब्भितरए छविहे बाहिरएवि झविहे १९८१ से किं तं बाहिरए?, २ छविहे पं००-अणसणे ऊणो( अवमो )अरिया भिक्खाअरिया रसपरिच्चाए कायकिलेसे पडिसंलीणया, से किं तं अणसणे?,२ दुविहे पं० तं०-इत्तरिए अआवकाहिए अ. से किं तं इत्तरिए ?,२ अणेगविहे पं० २०-उत्थभत्ते छट्ठभत्ते अट्ठम्भत्ते दसमभत्ते बारसभत्ते चउद्दसभत्ते सोलसभत्ते अद्दमासिए भत्ते भासिए भत्ते दोमासिए भत्ते तेमासिए भत्ते चउमासिए भत्ते पंचमासिए भत्ते छम्मासिए भत्ते, से तं इत्तरिए, से किं तंआवकहिए?, २ दुविहे पं० २०-पाओवगमणे अभत्तपच्चक्खाणे असे किं तं पाओवगमणे?,२ दुविहे पं० २०-वाघाइमे अनिव्वाघाइमे अनियमा अपडिकम्मे, सेतं पाओवगमणे, से किं तं भत्तपच्चक्खाणे ?, २ दुविहे पं००-वाघइमे अनिव्वाधाइमे अणियमा सप्पडिकम्मे, से तं भत्तपच्चक्खाणे, सेतं औपपातिकमुपांग ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only

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