Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainand Pustakalay

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Page 35
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org णमंसमाणा अभिमुहा विणएणं पंजलिउडा पज्जुवासंति |२२| तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ महावीरस्स बहवे असुरिंदविज्जआ भवणवासी देवा अंतियं पाउब्भवित्था नागपइणो सुवण्णा विज्जू अग्गीआ दीवा उदही दिसाकुमारा य पवणा थणिआ य भवणवासी नागफडागरुलवयरपुण्णकल्स (संकिण्णउफेस० पा० ) सीहहयगयमगरमउडवद्धमाणणिजुत्तविचित्तविधगया सुरूवा महिड्ढिया सेसं तं चेव जाव पज्जुवासंति ।२३। तेणं कालेणं समणस्स भगवओ महावीरस्स बहवे वाणमंतरा देवा अंतिमं पाउम्भवित्था पिसाया भूआ य जक्खरक्खसकिंनर किंपुरिस भुअगवइणो अ महाकाया गंधव्वणिकाय ( प्र०पड़ )गणा णिउणगंधव्वगीतरइणो अणपण्णि अपणपण्णिअइसिवादी अभू अवादी अकं दियमहा कंदिआ य कुहंड पयए य देवा चंचलचवलचित्तकीलणदवपिआ गंभीरहसि अभणी अपी अगी अणच्चणरई वणमाला मेलमउड कुंडलसच्छं दविउव्वि आहरणचारु विभूसणधरा सव्वोउयसुरभि - कुसुमसुरहयपलंबसोभंतकंतविअसंतचित्तवणमालरइ अवच्छा कामगमी कामरूवधारी णाणाविहवण्णरागवरवत्थचित्तचिल्लियणीयंसणा विविह देसीणे वत्थगहि अवेसा पमुइअकं दम्पक लहके लिकोलाहलम्पिआ हासबोलके लिबहुला अणेगमणिरयणविविहणिजुत्तविचित्तचिंधगया सुरूवा महिड्ढिआ जाव पज्जुवासंति (२४| तेणं कालेणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जोइसिया देवा अंतिअं पाउम्भवित्था विहस्सतिचंदसूरसुक्कसणिच्चरा राहू धूमकेतू बुहा य अंगारका य तत्ततवणिज्जकणगवण्णा जे गहा जोइसभि चारं चरंति केऊ अ गइरहुआ अट्ठावीसविहा य णक्खत्तदेवगणा णाणासंगणसंठियाओ पंचवण्णाओ ताराओ टिअलेस्सा चारिणो । औपपातिकमुपांगं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित २४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only

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