Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
जाव संपाविउकामस्स, नमोऽत्यु णं अम्मडस्स परिव्वायगस्स अम्हं धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स, पुव्वि णं अम्हे अम्मडस्स परिव्वायगस्स अंतिए थूलगपाणाइवावाए पच्चक्खाए जावज्जीवाए मुसावाए० अदिण्णादाणे पच्चक्खाए जावज्जीवाए सव्वे मेहुणे पच्चक्खाए जावज्जीवाए थूलए परिग्गहे पच्चक्खाए जावज्जीवाए इयाणि अम्हे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए - सव्वं गाणावाइवायं पच्चक्खामो जावज्जीवाए एवं जाव सव्वं परिग्गहं पच्चकुखामो जावज्जीवाए सव्वं कोहं माणं मायं लोहं पेजं दोसं कलहं अब्भक्खाणं पेसुण्णं परपरिवार्य अरइरई मायामोसं मिच्छादंसणसल्लं अकरणिजं जोगं पच्चक्खामो जावज्जीवाए सव्वं असणं पाणं खाइमं साइमं चउव्विपि आहारं पच्चक्खामो जावजीवाए जंपिय इमं सरीरं इवं कंतं पियं मणुण्णं मणामं थेज्जं (पेज्जं पा० ) वेसासियं संमतं बहुमतं अणुमतं भंडकरंडगसमाणं मा णं सीयं मा णं उम्हं मा णं खुहा माणं पिवासा मा णं वाला मा णं चोरा माणं दंसा मा णं मसगा मा णं वातियपित्तियसिंभियसंनिवाइयविविहा रोगातंका परीसहोवसग्गा फुसंतुत्तिकटु एयंपि णं चरमेहिं ऊसासणी सासेहिं वोसिरामत्तिकट्टु संलेहणाझूसणाझूसिया भत्तपाणपडियाइक्खिया पाओवगया कालं अणवकंखमाणा विहरंति, तए णं ते परिव्वायया बहूई भत्ताइं अणसणाए छेदेन्ति ता आलोइअपडिकंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा बंभलोए कप्पे देवत्ताए उववण्णा, तहिं तेसिं गई दससागरोवभाई ठिई पं०, परलोगस्स आराहगा, सेसं तं चेव १३ । ३९ । बहुजणे णं भंते ! अण्णमण्णस्स एवमाइक्खड़ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं परूवेई एवं खलु अंब (अम्म) डे परिव्वायए कंपिल्लपुरे णयरे घरसते । औपपातिकमुपांगं ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
५०
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81