Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainand Pustakalay
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सत्यवाहदूतसंधिवाल सद्धिं संपरिबुडे विहरइ ९ तेणं कालेणं० समणे भगवं महावीर आइगरे तित्थगरे सहसंबुद्धे पुरिसुत्तमे पुरिससीहे || पुरिसवरपुंडरीए पुरिसवरगंधहत्थी अभयदए चक्खुदए मग्गदए सरणदए जीवदए दीवो ताणं सरणं गई पठ्ठा धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टी अप्पडिहयवरनाणदंसणधरे विअट्टच्छउमे (.अरहा पा०) जिणे (केवली पा०) जाणए तिण्णे तारए मुत्ते मोयए बुद्धे बोहए सव्वण्णू सव्वदरिसी सिवमयलमरुअमणंतमक्ख्यमव्वाबाहमपुणरावत्तिअं सिद्धिगइणामधेयं ठाणं संपाविउकामे अहा जिणे केवली सत्तहत्थुस्सेहे समचरंससंठाणसंठिए वज्जरिसहनारायसंघयणेअणुलोमवाउवेगे कंकरगहणीकवायपरिणामेसउणिपोसपिटुंतरोरुपरिणए पउमुष्पलगंधसरिसनिस्साससुरभिवयणेछवी निरायंकउत्तमपसत्थअइसेयनिरुवमपले(तले पा०)जल्लमल्लकलंकसेयरयदोसवज्जियसरीरे निरुवलेवेछायाउज्जोइअंगमंगेधणनिचियसुबद्धलक्खणुण्णयकूडागारनिभपिंडिअम्गसिरए (सामलिबोंडणनिचियच्छोडियमिउविसयपसत्थसुहमलक्खणसुगंधसुंदर पा०) भुअमोअगभिंगनेलकज्जलपट्ठिभमरगणणिद्धनिकुरुंबनिचियकुंचियपयाहिणा वत्तमुद्धसिरए पा०) दालिमपुष्पप्पगासतवणिजसरिसनिम्मलसुणिद्धकेसंतकेसभूमी घण (निचिय) छत्तागारुत्तमंगदेसे णिव्वणसमलट्ठम?चंदद्धसमणिडाले उडुवइपडिपुण्णसोमवयणे अल्लीणपमाणजुत्तसवणे सुस्सवणे पीणमंसलकवोलदेसभाए आणामियचावरुइलकिण्हभाइ (संठियसंगयआययसुजाय पा०) तणुकसिणणिद्धभमुहे अवदालिअपुंडरीयणयणे कोआसिअघवलपत्तलच्छे गरुलायतउज्जुतुंगणासे उवचिअसिलप्पवालबिंबफलसण्णिभाहरोटे पंडुरससिसअलविमलणिम्भलसंखगोक्खीरफेणकुंददगरयमुणा॥ औपपातिकमुपांग ॥॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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