Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainand Pustakalay
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सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु जएणं विजएणं वद्धावेइ त्ता एवं व०-जस्स णं देवाणुप्पिया दंसणं कंखंति जस्स णं देवाणुप्पिया दसणं पीहंति जस्स णं देवाणुप्पिया दंसणं पत्थंति जस्स णं देवाणुप्पिया दंसणं अभिलसंति जस्स णं देवाणुप्पिया णामगोत्तस्सविसवणयाए हट्टतुट्ठजावहिअया भवंति से णं समणे भगवं महावीरे पुव्वाणुपुट्विं चरमाणे गामाणुग्गामं दूइज्जमाणे चंपाए णयरीए उवणगरगाम उवागए चंपंणगरि पुण्णभदं चेइअंसमोसरिउकामे तं एअंणं देवाणुप्पियाणं पिअट्टयाए पिअंणिवेदेमि पिअंभे भवः |१११तए णं से कूणिए राया भंभसारपुत्ते तस्स पवित्तिवाउअस्स अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म हडतुट्ठजावहियए विअसिअवरकमलणयणवयणेपअलिअवरकडगतुहियकेयूरमउहडकुंडलेहारद्धहारविरायंतर इयवच्चे पालंबपलंबमाणघोलंतभूसणधरे ससंभमं तुरियं चवलं नरिंदे सीहासणा3 अब्भुढेइ त्ता पायपीढाउ पच्चोरुहइ त्ता (वेरुलियवरितुरिष्टुअंजणनिउणोवियमिसिमिसिंतमणिश्यणमंडियाओ पा०) पाउआओ ओमुअइत्ता अवहट्टु पंच रायककुहाई तं०-खग्गं छत्तं उफेसं वाहणाओ वालवीअणं एकसाडियं उत्तरासंगं करेइ त्ता आयंते चोक्खे परमसुइभूए अंजलिमलिअग्गहत्थे तित्थगराभिमुहे सत्तट्ठपयाई अणुगच्छति त्ता वाम जाणुं अंचेइ ता दाहिणं जाणुं धरणितलंसि साहटु तिक्खुत्तो मुद्दाणं धरणितलंसि निवेसेइ त्ता ईसिं पच्चुण्णमति त्ता कडगतुडियथंभिआओ भुआओ पडिसाहरति त्ता करयल जाव कटु एवं व०-णमोऽत्थु णं अरिहंताणं भगवंताणं आइगराणं नित्थगराणं सयंसंबुद्धाणं पुरिसुत्तमाणं पुरिससीहाणं पुरिसवरपुंडरीआणं पुरिसवरगंधहत्थीणं लोगुत्तमाणं लोगनाहाणं लोगहियाणं ॥ औपपातिकमुपांगं ॥
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[पू. सागरजी म. संशोधित
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