Book Title: Ashtpahud
Author(s): Jaychandra Chhavda
Publisher: Anantkirti Granthmala Samiti

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Page 11
________________ उक्त पंडितजीमें थी इसलिये उनमें भी ऐसी उपकी बुद्धि तथा अन्य मान्य गुण थे। इसीसे आप हमारे तथा सब समाजके मान्य हैं अब हम आकांक्षा करते हैं कि आप शीघ्रही अनंत तथा अक्षय सुखके अनंत काल भोगी हों। इस ग्रंथकी भूमिकाके साथ भी हमने पाठकोंके सुभीते के लिये गाथा तथा विषय सूची भी लगादी है। अव अन्तिम हमारा निवेदन है कि अल्पज्ञता वश इस भूमिका तथा ग्रंथ संशोधन में हमारी बहुतसी त्रुटि रह गई होंगी जिसका आप सुज्ञ मार्जन कर हमें क्षमा करेंगे। मिती मगसिरसुदि ८ सं. १९८० विक्रम. ता. १५-१२-१९२३ ईसवीसन । विनीत रामप्रसाद जैन, ... बम्बई।

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