Book Title: Ratnastok Mnjusha
Author(s): Dharmchand Jain
Publisher: Samyaggyan Pracharak Mandal

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Page 26
________________ दूसरा आरा भी 21,000-21,000 वर्षों के हैं। उनके 84,000 वर्ष बाद उत्सर्पिणी काल के प्रथम बलदेव व वासुदेव होते हैं। सब मिलाकर विरह 84,000 + 84,000 + 84,000 = 2,52,000 वर्षों का हुआ । 10. तीर्थङ्कर, चक्रवर्ती, साधु, श्रावक आदि का उत्कृष्ट विरह भरत - ऐरवत क्षेत्र की अपेक्षा देशोन 18 कोड़ाकोड़ी सागरोपम का बतलाया, उसे इस प्रकार समझना चाहिए उत्सर्पिणी काल ↓ चौथा आरा - 2 कोड़ाकोड़ी सागरोपम (लगभग 84 लाख पूर्व कम) पाँचवाँ आरा-3 कोड़ाकोड़ी सागरोपम छठा आरा-4 कोड़ाकोड़ी सागरोपम 9 कोड़ाकोड़ी सागरोपम (84 लाख पूर्व कम) अवसर्पिणी काल ↓ सुषमा सुषम (पहला आरा) - 4 कोड़ाकोड़ी सागरोपम सुषम ( दूसरा आरा) - 3 कोड़ाकोड़ी सागरोपम सुषमा दुषम (तीसरा आरा) -2 कोड़ाकोड़ी सागरोपम (लगभग एक लाख पूर्व कम) = 9 कोड़ाकोड़ी सागरोपम (लगभग 1 लाख पूर्व कम) इस प्रकार 18 कोड़ाकोड़ी सागरोपम में लगभग 85 लाख पूर्व कम होने से देशोन 18 कोड़ाकोड़ी सागरोपम का उत्कृष्ट विरह होता है। 21

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