Book Title: Ratnastok Mnjusha
Author(s): Dharmchand Jain
Publisher: Samyaggyan Pracharak Mandal

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Page 95
________________ 10. बड़ों के साथ शिष्य स्थण्डिल जावे और उनसे पहले शौचकर्म कर के आगे चला आवे। 11. गुरु के साथ शिष्य बाहर गया हो और पीछे लौटने पर ईर्यापथिकी पहले प्रतिक्रमे । 12. कोई पुरुष उपाश्रय में आवे तब उनसे गुरु से पहले ही शिष्य बोले । 13. रात्रि के समय जब गुरु कहे- 'अहो आर्य! कौन नींद में है और कौन जाग रहा है ?' तब आप जागते हो, तो भी नहीं बोले । 14. आहारादि लाकर उसकी आलोचना पहले अन्य मुनि के सामने करे और बाद में गुरु के समक्ष करे । 15. आहारादि पहले अन्य मुनि को बतावे और बाद में गुरु को बतावे । 16. आहारादि के लिए पहले अन्य मुनि को आमन्त्रण दे और बाद में गुरु को दे। 17. गुरुजनों को पूछे बिना ही अन्य मुनियों को आहारादि देवे। 90

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