________________
एषणिक लेवे। (दाति = धार = एक साथ, धार खण्डित हुए बिना जितना पात्र में पड़े, उतने को 'दाति' कहते हैं) ।
3. प्रतिमाधारी साधु, गोचरी के लिए दिन के तीन विभाग करे और तीन विभागों में से चाहे जिस एक विभाग में गोचरी करे ।
4. प्रतिमाधारी साधु, छह प्रकार से गोचरी करे - 1. पेटी के आकारे 2. अर्ध पेटी के आकारे 3. बैल के मूत्र के आकारे 4. जिस प्रकार पतंगिया क्रमशः फूलों पर नहीं बैठता हुआ छूट कर फूलों से रस ग्रहण करता है इस प्रकार गोचरी करे 5. शंखावर्त्तन के आकार से गोचरी करे और 6. जाते हुए करे, तो आते हुए नहीं करे और आते हुए करे, तो जाते हुए नहीं करे ।
5. गाँव के लोगों को मालूम हो जाय कि 'यह प्रतिमाधारी मुनि है', तो वहाँ एक रात ही रहे और ऐसा मालूम नहीं हो, तो दो रात्रि रहे। उपरान्त जितनी रात रहे उतना प्रायश्चित्त का भागी बने ।
6. प्रतिमाधारी साधु, चार कारण से बोलते हैं - 1. याचना करते, 2. मार्ग पूछते, 3. शय्या आदि की आज्ञा प्राप्त करते और 4. प्रश्न का उत्तर देते ।
7. प्रतिमाधारी साधु, तीन स्थान में निवास करे - 1. बागबगीचा, 2. श्मशान-छत्री, 3. वृक्ष के नीचे । इनकी याचना करे ।
68