Book Title: Ratnastok Mnjusha
Author(s): Dharmchand Jain
Publisher: Samyaggyan Pracharak Mandal

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Page 54
________________ जीव गुणस्थान योग उपयोग लेश्या 5. चौरेन्द्रिय में 2 2 4 6 3 6. पंचेन्द्रिय में 4 12 15 10 6 7. अनिन्द्रिय में 1 2 7 2 113 अल्पबहुत्व-सबसे थोड़े पंचेन्द्रिय, उनसे चौरेन्द्रिय विशेषाधिक, उनसे तेइन्द्रिय विशेषाधिक, उनसे बेइन्द्रिय विशेषाधिक, उनसे अनिन्द्रिय अनन्त गुण, उनसे एकेन्द्रिय अनन्त गुण और उनसे सइन्द्रिय विशेषाधिक हैं। काय द्वार जीव गुणस्थान योग उपयोग लेश्या 1. सकाय में 14 14 15 126 2. पृथ्वीकाय में 4 1 3 3 4 3. अप्काय में 4 1 3 3 4 4. तेउकाय में 4 1 3 3 3 5. वायुकाय में 4 1 5 3 3 6. वनस्पतिकाय में 4 1 3 3 4 7. त्रसकाय में 10 14 15 12 6 8. अकाय में 0 0 0 2 0 13. अनिन्द्रिय में 13वाँ, 14वाँ गुणस्थान होने से एक शुक्ललेश्या पाई जाती है। 49

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