Book Title: Ratnastok Mnjusha
Author(s): Dharmchand Jain
Publisher: Samyaggyan Pracharak Mandal

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Page 55
________________ अल्पबहुत्व-सबसे थोड़े त्रसकाय, उनसे तेउकाय असंख्यात गुण, उनसे पृथ्वीकाय विशेषाधिक, उनसे अप्काय विशेषाधिक, उनसे वायुकाय विशेषाधिक, उनसे अकाय अनन्त गुण, उनसे वनस्पतिकाय अनन्त गुण और उनसे सकाय विशेषाधिक हैं। योग द्वार जीव गुणस्थान योग उपयोग लेश्या 1. सयोगी में 14 13 15 12 6 2. मन योगी में 1 13 14 12 6 3. वचन योगी में 5 13 14 12 6 4. काययोगी में 14 13 15 12 6 5. अयोगी में 1 1 0 2 0 अल्पबहुत्व-सबसे थोड़े मन-योगी, उनसे वचन-योगी असंख्यात गुण, उनसे अयोगी अनन्त गुण, उनसे काय-योगी अनन्त गुण और उनसे सयोगी विशेषाधिक हैं। वेद द्वार जीव गुणस्थान योग उपयोग लेश्या 1. सवेदी में 149 15 10 6 2. पुरुषवेदी में 2 9 15 10 6 3. स्त्रीवेदी में 2 9 13 10 6 50

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