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पाँच देव का थोकड़ा श्री भगवती सूत्र के शतक 12 उद्देशक 9 के आधार से “पाँच देव” का थोकड़ा इस प्रकार है
1. नाम द्वार, 2. अर्थ द्वार, 3. आगति द्वार, 4. गति द्वार, 5. स्थिति द्वार, 6. वैक्रिय द्वार, 7. संचिट्ठण-काल द्वार, 8. अवगाहना द्वार, 9. अन्तर द्वार और 10. अल्प-बहुत्व द्वार।
विवेचन 1. नाम द्वार-अहो भगवन् ! देव कितने प्रकार के हैं?
हे गौतम ! देव पाँच प्रकार के हैं। यथा-1. भव्य-द्रव्य देव, 2. नरदेव 3. धर्मदेव, 4. देवाधिदेव और 5. भावदेव ।
2. अर्थ द्वार-अहो भगवन् ! भव्य-द्रव्य देव किसे कहते हैं ?
हे गौतम ! जो जीव, अभी मनुष्यगति अथवा तिर्यञ्चगति में हैं और भविष्य में देवगति में उत्पन्न होने वाले हैं, उन्हें भव्य-द्रव्य देव' कहते हैं।
अहो भगवन् ! नरदेव किसे कहते हैं ?
हे गौतम ! जो राजा, चारों दिशाओं के स्वामी हैं, चक्रवर्ती हैं। जिनके पास 84 लाख हाथी, 84 लाख घोड़े, 84 लाख रथ, 96 करोड़ पैदल और 64 हजार रानियाँ हैं। जो 9 निधि और 14 रत्नों
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