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3. त्रस जीवों को मकान, बाड़े आदि में बन्द कर अग्नि या धुंए से घोट कर मारे।
4. तलवारादि शस्त्र से मस्तकादि अंगोपांग काटे। 5. मस्तक पर गीला चमड़ा बाँध कर मारे।
6. ठगाई, धोखाबाजी, धूर्तता से दण्ड, फलक आदि के द्वारा मार कर दूसरे का उपहास करे तथा विश्वासघात करे।
7. कपट करके अपना दुराचार छिपावे, सूत्रार्थ छिपावे।
8. आप कुकर्म करे और दूसरे निरपराधी मनुष्य पर आरोप लगावे तथा दूसरे की यश:कीर्ति घटाने के लिए झूठा कलंक लगावे। ____9. सत्य को दबाने के लिए मिश्र वचन बोले, सत्य का अपलाप करे तथा क्लेश बढ़ावे ।
10. राजा का मन्त्री होकर राजा की लक्ष्मी हरण करना चाहे, राजा की रानी से कुशील सेवन करना चाहे, राजा के प्रेमीजनों के मन को पलटना चाहे तथा राजा को राज्याधिकार से हटाना चाहे।
11. विषय-लम्पट होकर भी अपने को कुंवारा बतावे । 12. ब्रह्मचारी नहीं होते हुए भी अपने को ब्रह्मचारी बतावे । 13. जो नौकर, स्वामी की लक्ष्मी लूटे तथा लुटावे ।