Book Title: Ratnastok Mnjusha
Author(s): Dharmchand Jain
Publisher: Samyaggyan Pracharak Mandal

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Page 57
________________ 3. नील लेश्यी में 146 15 10 1 4. कापोत लेश्यी में 146 15 10 1 5. तेजो लेश्यी में 3 7 15 10 1 6. पद्म लेश्यी में 2 7 15 10 1 7. शुक्ल लेश्यी में 2 13 15 12 1 8. अलेश्यी में 1 1 0 2 0 अल्पबहुत्व-सबसे थोड़े शुक्ललेश्यी, उनसे पद्मलेश्यी संख्यात गुण, उनसे तेजोलेश्यी संख्यात गुण, उनसे अलेश्यी अनन्त गुण, उनसे कापोतलेश्यी अनन्त गुण, उनसे नीललेश्यी विशेषाधिक, उनसे कृष्णलेश्यी विशेषाधिक और उनसे सलेश्यी विशेषाधिक हैं। दृष्टि द्वार जीव गुणस्थान योग उपयोग लेश्या 1. सम्यग्दृष्टि में 6 12 15 9 6 2. मिथ्यादृष्टि में 14 1 13 6 6 3. मिश्रदृष्टि में 1 1 10 6 6 ____ अल्पबहुत्व-सबसे थोड़े मिश्रदृष्टि, उनसे सम्यग्दृष्टि अनन्त गुण और उनसे मिथ्यादृष्टि अनन्त गुण हैं। सम्यक्त्व द्वार जीव गुणस्थान योग उपयोग लेश्या 1. सास्वादन समकिती में 6 1 13 6 6 52

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