Book Title: Ratnastok Mnjusha
Author(s): Dharmchand Jain
Publisher: Samyaggyan Pracharak Mandal

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Page 51
________________ 32 बोल का बासठिया सम्बन्धी ज्ञातव्य तथ्य 1. देवियों में जीव के भेद 2 ही होंगे और लेश्या 4 होंगी तथा शेष (गुणस्थान, योग, उपयोग) देवता के बोल के समान समझना। 2. तिर्यञ्चिणी में जीव के भेद दो होंगे। शेष बोल (गुणस्थान, योग, उपयोग, लेश्या) तिर्यञ्च के समान समझना। 3. अपर्याप्त व अनाहारक दोनों अवस्था जिसमें मिले, वह बाटा बहता जीव है। 4. मनुष्य और तिर्यञ्च में अपर्याप्त अवस्था में विभंग ज्ञान नहीं होता है। 5. तिर्यञ्च के अपर्याप्त में अवधि ज्ञान नहीं होता है। 6. कार्मण काय योग अपर्याप्त अवस्था में ही होता है। कर्मभूमिज सन्नी मनुष्य में केवली समुद्घात के समय कार्मण काययोग होता है, इस अपेक्षा से सन्नी का पर्याप्त भेद भी लिया है।

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