Book Title: Ratnastok Mnjusha
Author(s): Dharmchand Jain
Publisher: Samyaggyan Pracharak Mandal

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Page 79
________________ (15) पन्द्रहवें बोले- परमाधार्मिक देव पन्द्रह - 1. अम्ब 2. अम्बरीष 3. श्याम 4. शबल 5. रौद्र 6. महारौद्र 7. काल 8. महाकाल 9. असिपत्र 10. धनुष 11. कुम्भ 12. बालुका 13. वैतरणी 14. खरस्वर और 15. महाघोष । (16) सोलहवें बोले - सूत्रकृतांग सूत्र के प्रथम श्रुतस्कन्ध के सोलह अध्ययन - 1. स्वसमय - परसमय 2. वैतालीय 3. उपसर्ग परिज्ञा 4. स्त्री परिज्ञा 5. नरक विभक्ति 6. वीर स्तुति 7. कुशील परिभाषा 8. वीर्याध्ययन 9. धर्म - ध्यान 10. समाधि 11. मोक्षमार्ग 12. समवसरण 13. यथातथ्य 14. ग्रन्थ 15. आदानीय और 16. गाथा। (17) सतरहवें बोले - संयम सतरह प्रकार का - 1. पृथ्वीकाय संयम 2. अप्काय संयम 3. तेउकाय संयम 4. वायुकाय संयम 5. वनस्पतिकाय संयम 6. बेइन्द्रिय संयम 7. तेइन्द्रिय संयम 8. चउरिन्द्रिय संयम 9. पंचेन्द्रिय संयम 10. अजीवकाय संयम 11. प्रेक्षा संयम (मार्ग स्थंडिल भूमि आदि देखकर प्रवृत्ति करना) 12. उपेक्षा संयम (आज्ञानुसार शुभ क्रिया में प्रवृत्ति, अशुभ से निवृत्ति करना) 13. परिस्थापनिका संयम 14. प्रमार्जन संयम 15. मन:संयम, 16. वचन संयम और 17. काय संयम । 74

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