Book Title: Ratnastok Mnjusha
Author(s): Dharmchand Jain
Publisher: Samyaggyan Pracharak Mandal

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Page 56
________________ 4. नपुंसक वेदी में 149 15 10 6 5. अवेदी में 1 6 11 9 1 अल्पबहुत्व-सबसे थोड़े पुरुषवेदी, उनसे स्त्रीवेदी संख्यात गुण, उनसे अवेदी अनन्त गुण, उनसे नपुंसकवेदी अनन्त गुण और उनसे सवेदी विशेषाधिक हैं। कषाय द्वार जीव गुणस्थान योग उपयोग लेश्या 1. सकषायी में 14 10 15 10 6 2. क्रोध कषायी में 149 15 10 6 3. मान कषायी में 14 4. माया कषायी में 149 15 10 6 5. लोभ कषायी में 14 10 15 10 6 6. अकषायी में 1 4 119 1 ___ अल्पबहुत्व-सबसे थोड़े अकषायी, उनसे मानी अनन्त गुण, उनसे क्रोधी विशेषाधिक, उनसे मायी विशेषाधिक, उनसे लोभी विशेषाधिक और उनसे सकषायी विशेषाधिक हैं। लेश्या द्वार जीव गुणस्थान योग उपयोग लेश्या 1. सलेश्यी में 14 13 15 12 6 2. कृष्ण लेश्यी में 146 15 10 1 51

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