Book Title: Padhamvaggo
Author(s): Nemivigyan Kastursuri Gyanmandir
Publisher: Nemivigyan Kastursuri Gyanmandir
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
११४
सरिउसहनाहचरिए 'पडउडीहिं सुसंठिआ सबसेणिगा पुष्वनियपासाए न सरंति, सइण्णाणं कंटगसोहणकज्जं दिसंता इव उद्या समी-कक्कंधु-बब्बूल-सरिस-कंटकिल्लतरुणो लिहेइरे, 'सिगयामइयभागीरहीतीरतलंमि वेसरा सामिणो अग्गे भिच्चा इव लुटुंति । केई जणा कट्ठाई आहरंति, केयण सरियाजलाई, केइ दुव्वाइभारे, केइं सागफलाई, केई चुल्लिगाओ खणंति, केवि तंडुले खंडेइरे, केई अग्गि जालेइ, केई ओयणं पएइ, केवि तत्थ नियघरंमिव्व निम्मलजले हिं एगत्थ सिणाइरे, सिणाया केवि अप्पाणं सुगंधिधूवेहिं धूवेज्जा, पुरओ भुंजमाणपत्तिणो केवि सइरं मुंजंति, केयण इत्थीहिं सह विलेवणेहिं अंग विलिपति, कीलामेत्तेण लहणिज्जसवढे चक्कवहिस्स सिबिरंमि कोवि अप्पाणं मणयं पि कंडगायायं न मण्णं ते । दिसिजत्ताए मागहतित्थाहिगारो
तंमि अहोरत्ते वइक्कते पभायकाले पुणो वि चक्करयणं चक्कवट्टी वि एगं जोयणं गच्छेइ, एवं दिणे दिणे जोयणपमाणप्पयाणेण गच्छंतो चक्काणुगो चक्की मागहं तित्थं समासाएइ । पुव्वसमुद्दतडंमि भरहनरिंदो नवजोयणवित्थरं दुवालसजोयणायाम खंधावारं निवेसेइ, तत्थ वड्ढइरयणं सबसइण्णाणं आवासे विहेइ, तह य धम्मिक्कहत्थिणो सालमिव एगं पोसहसालं निम्मवेइ । राया पोसहसालाए अणुहाणविहाणटुं पव्वयाओ केसरीच गयखंधाओ उत्तरेइ, पोसहसालाए गंतूण तत्थ भरहराया संजम-सामज्ज-लच्छी-सीहासणुवमं नवं दब्भसंथारयं संथरेइ, मागहतित्थकुमारदेवं च मणसि काऊणं सो अत्थसिद्धीए पढमवारं अट्टमं भत्तं पवज्जइ, स धवलवत्थधरो चत्तनेवत्थ-मालाविलेवणो चत्तसत्थो पुण्णपोसोसह पोसहव्वयं गिण्हेइ, तमि दमसंथारए सो पोसहं जागरमाणो अव्ययपए सिद्धो इव निच्चलो नरिंदो चिट्ठइ, अट्ठमतवंते पुण्णपोसहो नरिंदो पोसहसालाए सरयभाओ आइच्चुव्व अहिगज्जुई निज्जाइ, तओ सिणाणं काऊण सव्वत्थसंपायणकुसलो राया जहविहिं बलिविहिं विहेइ, 'विहिvणुणो हि विहिं नहि वीसरंति' । जंगमं पासायमिव उड्ढपडागाझयथभं, सत्थागारमिव अणेगसत्थ-सेणि-विहूसि, चउदिसाविजयसिरीणं आहवणत्यं पिच उच्चएहिं टणकारकरचारुचउघंटाओ धरंतं, पवणेहिं पिव वेगवंतेहि, पंचाणणेहिं पिव धीरेहिं तुरंगमेहिं संजुत्तं रहं रहिपुंगवो भरहनरिंदो उवविसेइ । इंदम्स मायलिसारहिव्य रण्णो भावविसेसण्णू सारही रस्सि-चालणमेत्तेण तुरंगमे नोएइ । महागयगिरि-संघो महा
१ पटकुटी-तंबु, रावटी. । २ स्मरन्ति । ३ कर्कन्धुः-बदरी । ४ सिकतामय-वालुकामयः । ५ स्वैरम् । ६ कटकायातं- सैन्यागतम् । ७ साम्राज्यलक्ष्मी । ८ रश्मि -रज्जुः ।
For Private And Personal

Page Navigation
1 ... 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246