Book Title: Padhamvaggo
Author(s): Nemivigyan Kastursuri Gyanmandir
Publisher: Nemivigyan Kastursuri Gyanmandir
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११२
सिरिउसहनाहचरिए
उति । तओ काई हत्थुद्ध रिअसुवण्णजलकुंभाओ सुंदरीओ कीओ विय रययमइयपयकलसे धरतीओ अंगणाओ, अन्नाओ य नीलुप्पलम्भमकारि - इंदनीलपयकुंमे चारुपाणीसुं धरतीओ इत्थीओ, अवरा य नह - रयण- पहाजाल - वड्ढमाणा हिगसोहिरे कुंभे atara लगाओ सुगंधिपवित्तं बुधाराहिं पुढवीप देवया जिनिंदमिव कमेण हवेइरे । भरस्स दिसिजय पयाणं
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अह सिणाणो भूवालो कयदिव्वविलेवणो सेयरसहिं सोहिओ, लाडपट्टे जसदुमस्स परोहंता हिणवं कुरं पित्र चंदणतिलगं घरंतो, नियजसपुंजनिम्मलयर - मुत्तामझ्यालंकारे महंततारागणे गणं पित्र उव्वहंतो, कलसेण पासाओ वित्र किरणजालवीलिय- उन्हं सुणा किरीडेण विहूसिओ, वारंगणाकरकम लेहिं मुहुं उक्खिविज्जमाणेहिं कष्णुत्तंसायमाणेहिं चामरेहिं विराइओ, सिरिगेहपोम्म रउमदहेण हिमवंतो गिरीव सुवण्णकुंभधर- सेयच्छत्तेण उवसोहिओ, पतिहारेहिं पित्र सव्वया सव्वओ संणिहिय-भत्तसोलसजक्खसहस्सेहिं परिरिओ, उत्तुंगकुंभसिहर- थगिय- दिसाणणं हत्थिरयणं वासवो रावणं पिव आरोहेइ । तक्खणंमि उज्जियं गज्जैतो सो गयराओ उद्दाम - मय धाराहिं अवरो धाराधरो इव होत्या । पाणिणो उक्खेविऊण गयणं पल्लवियं कुणतेहिं वंदि - वंदेहं जुगवं जयजयारको कुणिज्जइ । अह ताडिज्जमाणदुंदुही उच्चअं नदंतो पहाणगा - यो गाइगाओ इव दिसाओ विनदावे । नीसेस - सेणिगाऽऽहवणकज्जमि दूईभूयाई अवराई पि मंगलियवर - तुरियाई पणदंति । धाउस हियगिरीहिं पिव सिंदूरधरकुंभेहिं गए हिं, अणेगरूत्रधररेवंताऽऽसक्षमकरेहिं तुरंगेहिं, नियमणोरहेहिं पिव विसालमहारहे, सोहिं पि ववयमहापरकमपाइ क्केहिं च सह महीवालो सइण्णुत्थपमूर्हि दिसं पच्छायणवत्थमित्र कुणतो पुव्वं पुञ्चदिसं चलेइ ।
चक्कीणं रयणाई
तंमि समए जक्खसहस्साऽहिट्ठियं चक्करयणं भाणुर्विवमिव नहंमि चलंतं सेणाए पुरओ चले, तओ दंडेरयणधरो नामेणं सुसेणो सेणाणीरंयणं आसयणं आरोहिय चक्कमिव चलेइ, नीसेस - संतिय - विहिम्मि मुत्तिमंतो संतिमंतुव्व पुरोहरैयणं भरहनरिंदेण सम चलेइ, सेण्णंमि पइनिवासं दिव्वभोयणसंपायणक्खमं गिर्वइरयणं जंगमा दाणसालेव गच्छ, खंधावाराइकम्मं 'सत्तरं निम्माउं 'वीसकम्मेव खमो व इरयणं नरिंदेण सह वच्चेइ, चक्कवट्टिणो सयलखंधावारयमाण - वित्थरणसत्तिमतं अच्चन्भुयं
१. ललाटपट्टे । २ व्रीडितोष्णांशुना । ३ 'शान्तिकविधौ । ४ शान्तिमन्त्र इव पुरोधारेत्नम् । ५ सत्वरम् । ६ विश्वकर्मेव - देवशिल्पी ।
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