Book Title: Magadh
Author(s): Baijnath Sinh
Publisher: Jain Sanskruti Sanshodhan Mandal

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Page 14
________________ ( ७ ) पर नहीं जा सकती । पर श्रीकृष्ण को जरासन्ध की कमजोरी का भी ज्ञान था । वह जानते थे कि जरासन्ध बहुत प्रसिद्ध मल्ल है । व्यक्तिगतरूप से वह बड़ा वीर और हठी भी है । श्रीकृष्ण ने जरासन्ध की इस कमजोरी अथवा उसके इस मानसिक रहस्य से फायदा उठाया । और वह भीम तथा अर्जुन को अपने साथ लेकर गुप्तरूप से जाकर उसके महल में प्रकट हुए । जिस समय श्रीकृष्ण ब्राह्मण स्नातक के वेश में भीम और अर्जुन के साथ मगध की राजधानी गिरीव्रज में प्रवेश कर रहे थे, उस समय उन्होंने मगध की राजधानी गिरिव्रज की शोभा का वर्णन इस प्रकार किया : " हे पार्थ ! देखो, मगध राज्य का महानगर कैसा सुशोभित है । उत्तम-उत्तम श्रट्टालिकाों से सुशोभित यह महानगरी सुजला, निरुपद्रवा और गवादि से पूर्ण है । वैहार, वराह, वृषभ, ऋषिगिरि तथा चैत्यक ये पांचों शैल सम्मिलित होकर गिरिव्रज नगर की रक्षा कर रहे हैं । पुष्पितशाखाग्र, सुगन्धपूर्ण मनोहर लोधवनराजि ने उन शैलों को मानों ढंक रखा है ।" ( महाभारत, सभा० )" श्रीकृष्ण भीम और अर्जुन के साथ ब्राह्मण के वेश में थे । पुरोहित के विद्यार्थियों में मिलकर वह भी जरासन्ध के राजमहल में चले गए । पर जरासन्ध राजपुरुष था । उसे इन तीनों पर सन्देह हुआ । उसने कहा—'स्नातकों, ब्राह्मणों को तो मैंने माल्य और अनुलेपन के साथ देखा है; पर उनके कन्धे पर प्रत्यंचा के निशान नहीं देखे । सच बताओ तुम कौन हो ? यदि ब्राह्मण हो तो पूजा स्वीकार करो ।' यहाँ कृष्ण स्पष्ट कहते हैं कि हम लोग ब्राह्मण नहीं, क्षत्रिय हैं और तुम्हारे शत्रु हैं । इस पर जरासन्ध ने कहा कि मैंने तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगाड़ा ; फिर मुझे तुम अपना शत्रु कैसे कहते हो ? मजे की बात तो श्रीकृष्ण अपने को स्पष्ट रूप में नहीं प्रकट करते; वर्ना उनकी घात में न आता । यहाँ श्रीकृष्ण यही कहते हैं कि तुम बहुत यह कि यहाँ भी शायद जरासन्ध

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