Book Title: Magadh
Author(s): Baijnath Sinh
Publisher: Jain Sanskruti Sanshodhan Mandal

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Page 51
________________ ( ४ ) 'जिनमें परस्पर झगड़े होते रहते थे। इन्हीं झगड़ों को मिटाने के लिये अपने अभिषेक के सत्रहवें वर्ष में अशोक ने पाटलिपुत्र में तीसरी संगीति बुलाई। इसके अध्यक्ष मोग्गलिपुत्त तिस्स थे। संगीति की इस बैठक का बौद्ध धर्म के इतिहास से और भारतवर्ष के इतिहास से बहुत घना सम्बन्ध है । इसी संगीति में विदेशों के लिये कुछ धर्म-दूत मनोनीत . किए गए । काश्मीर, गन्धार, हिमालय के देश, महिषमण्डल, सुवर्ण भूमि, महाराष्ट्र, यवन-देश और लंका आदि को क्रमशः मन्झान्तिक, मज्झिम, महादेव, सोन, उत्तर, महाधर्मरक्षित, महारक्षित और मदेन्द्र भेजे गए । इन प्रचारकों ने इन विविध देशों में बौद्धधर्म का प्रचार किया। इस प्रकार इन सभी विदेशों से भारत का घना सम्बन्ध हुअा-बौद्धधर्म विश्व व्यापक धर्म बना। अशोक ने धर्म प्रचार के लिये अपनी शासन-व्यवस्था में भी परिवर्तन किया। मौर्य शासन बहुत कठोर था। उसकी रचना धर्मप्रचार के लिये नहीं, साम्राज्य विस्तार के लिये हुई थी। इसलिये अशोक ने अपने धर्म प्रचार के अनुकूल उसे कोमल किया। धर्म महामात्र की नई नियुक्ति की । राज्याधिकारियों द्वारा भी धार्मिक कार्यों को प्रोत्साहित कराने का काम लिया। अशोक की कलाप्रियता ____ अशोक महान निर्माता भी था। राज-प्रासाद, स्तूप और दरीगृह, वास्तु और भास्कर्य के अप्रतिम प्रतीक, हृद और क्षेत्र-प्रणालिकाएँ, कूप और तरुसेवित राजपथ, विश्रामशालाएं और श्रामवाटिकात्रों का उसने -व्यापक पैमाने पर निर्माण करवाया। अनुश्रुतियों के अनुसार उसी ने कश्मीर के श्रीनगर और नेपाल के ललितपाटन का निर्माण करवाया था । उसने अपने पितामह चन्दगुप्त के बनवाये राज-प्रसाद में बहुत परिवर्तन करवाया था। ये परिवर्तन भी इतने महान थे कि पाचवीं सदी के प्रारम्भ का चीनी यात्री उसे देखकर दंग रह गया। उसने लिखा:

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