Book Title: Magadh
Author(s): Baijnath Sinh
Publisher: Jain Sanskruti Sanshodhan Mandal

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Page 66
________________ ( ६ ) उपदेश त्रिपिटकों में तो हैं ; पर विनय और धम्म में ही उसका सार रूप स्पष्ट होता है। बौद्ध धर्म की कोई प्राचीन परम्परा नहीं थी। बौद्ध संघः में ब्रह्मचर्य और त्याग को आवश्यक स्थान मिला था। पर फिर भी बुद्ध का मार्ग तपस्या का मार्ग नहीं, मध्यम मार्ग था। बुद्ध ने बहुत से अपरिपक्क बुद्धि के तरुणों का विलास छोड़वाफर उन्हें भिन्तु संघ में लिया था। अनेक दासों और कर्जमन्दों ने अपनी रक्षा के लिये भिक्षु संघ में शरण ली थी। ऐसी ही बहुत सी स्त्रियाँ भी भितुणी हुई थीं। इन्हीं कारणों से बुद्ध के काल में भिन्तु संघों में व्यभिचार बढ़ गया। कौशाम्बिक भिक्षुत्रों के अनाचार के कारण बुद्ध को बहुत खिन्न होना पड़ा था । इन्हीं सब कारणों से बुद्ध ने समय समय पर मित्रों के लिये आचार सम्बन्धी जो नियम बनाए, उन्हीं का संकलन विनय पिटक है। . दीघ-निकाय, मज्झिम-निकाय, संयुक्त-निकाय, अंगुत्तर-निकाय और खुद्दक-निकाय पालि साहित्य के अपूर्व ग्रन्थ हैं। इनमें बुद्ध के उपदेश संग्रहीत हैं। इनमें छठीं और पांचवी शताब्दी ई० पू० के भारतीय जीवन की पूरी झलक है । बुद्ध का ऐतिहासिक व्यक्तित्व, उनका मानवीय स्वरूप वहाँ स्पष्ट शब्दों में अंकित मिलता है। इसमें यथार्थ और विवेक दोनों का स्पष्ट रूप है। 'बुद्ध के समकालीन अन्य श्रमणों, ब्राह्मणों, परिव्राजकों के सिद्धान्तों का विवरण भी इसमें है। धनी किसानों की स्थिति, गुलामों की स्थिति, गरीबों की स्थिति, प्रचलित उद्योग-व्यवसाय, कला और मनोरंजन के साधनों का वर्णन, राजनैतिक परिस्थिति, स्त्रियों की परिस्थिति, जाति और वर्णवाद का भी वर्णन है। साहित्य और ज्ञान की अवस्था, कृषि और वाणिज्य का भी पूरा पता इन ग्रन्थों से लग जाता है । इन ग्रन्थों के कुछ अंश तो बहुत ही प्रसिद्ध है । धम्मपद तो एक तरह से बौद्ध धर्म की गीता है । सुत्रनिपात का निर्देस सारिपुत्त का लिखा है। सुत्रनिपात के विचार और उसकी शैली उपनिषदों की सी है। पालि साहित्य में जातकों का स्थान कम महत्वपूर्ण नहीं है । कहानी

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