________________
( ६२ )
संस्कृत राज आसन पर
चाणक्य ने अपनी रचना संस्कृत में की; पर उसने पालि को उसके आसन से हटाया नहीं । शायद इसलिए कि उस समय भ्रमण जीवन और भ्रमण साधना निस्तेज नहीं थी । वह ढोंग और डम्बर से पूरिपूर्ण राख की ढेर नहीं थी; पर पतञ्चलि ने पालि भाषा को भी उसके श्रासन से ढकेल दिया । बौद्धों के शासन को ही उसने मगध से नहीं हटाया ; बौद्धों की भाषा - पालि को भी राज - श्रासन से उतार दिया । पुष्यमित्र के काल से ही संस्कृत का भी अभ्युत्थान शुरू हुआ और फिर तो इसके बाद का सारा बौद्ध और जैन साहित्य संस्कृत में ही निर्मित हुआ ।