Book Title: Magadh
Author(s): Baijnath Sinh
Publisher: Jain Sanskruti Sanshodhan Mandal

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Page 20
________________ ( १३ ) बिम्बिसार की बड़ी प्रिय रानी थी। उसकी इच्छा रखने के लिये बिम्बिसार उसे लेकर जहाँ मुनि समाधि लगाए बैठे थे, वहाँ जंगल में गये । चेल्लना ने स्वयं मुनि के गले में पड़े मरे सर्प को हटाया। मुनि ने विघ्न हटा जान कर समाधि भंग किया और राजा तथा रानी को आशीर्वाद दिया। इस घटना का बिम्बसार के जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ा । पर यह कहानी. महाभारत की शृंगि ऋषि की कथा की अनुकारी भी मालूम होती है । किंतु. इसमें सन्देह नहीं कि बिम्बिसार जैन हो गया था। अवैदिकी विचारों का केन्द्र मगध बिम्बिसार का महत्त्व इसलिए भी है कि उसके काल में मगध और उसको राजधानी राजगृह प्राचीन रूढ़ियों के खण्डन और नये विचारों के प्रवर्तन का बड़ा भारी केन्द्र था। यदि वह उदार न होता, यदि वह नये विचारों का आदर न करता, तो उसके राज्य में तत्त्वचिन्तकोंविचारकों-का केन्द्र न होता। बौद्ध ग्रन्थों में छै शक्तिशाली विचारकों का उल्लेख है। ये सभी मगध के मूल निवासी नहीं हैं ; पर इन सभों की साधना भूमि मगध है । इनमें अजित केशकम्बलिन् , मक्खली गोसाल, पूर्ण काश्यप, प्रकुध कात्यायन, संजय वेलहि पुत्त और निगन्थ नाथपुत्त (महावीर) हैं। ये सभी वैदिक विचारधारा के विरोधी थे। अजित केशकम्बलिन् की विचारधारा को पूर्ण रूप से सामने रखने का साधन नहीं है । पर इतना स्पष्ट है कि वह वैदिक याग-यज्ञों का विरोधी था। वह चार महाभूतों से सृष्टि की उत्पत्ति और मृत्यु के बाद उन्हीं में लय मानता था। परलोक और उसके लिये किये जाने वाले दान-पुण्य को वह झूठा समझता था। एक जन्म के पाप-पुण्य को दूसरे जन्म में भोगने और ब्रह्मज्ञानी होने का भी वह मजाक करता था। मक्खली गोसाल श्राजीवक सम्प्रदाय का नेता था। मगध से श्रावस्ती तक यह सम्प्रदाय फैला था। मक्खली बहुत गरीब मां-बाप का बेटा था। गोशाला में पैदा होने के कारण

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