Book Title: Magadh
Author(s): Baijnath Sinh
Publisher: Jain Sanskruti Sanshodhan Mandal

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Page 37
________________ •लाचार होकर सिकन्दर को वापस लौटना पड़ा। पर इन सारी परिस्थितियों से फायदा उठाकर चन्द्रगुप्त और चाणक्य ने उधर के राजाओं को मिला कर तथा और भी प्रयत्न कर अपनी सेना जुटाली। और उन्होंने मगध पर आक्रमण कर दिया। राजनीतिक दाव पेंच-- मगध-सम्राट नन्द के पास सेना की कमी नहीं थी। वह उग्रसेन था ही। उसके पास हथियारों की भी कमी नहीं थी। पर चन्द्रगुप्त ने ग्रीक विजेता सिकन्दर के युद्ध-कौशल को देखा और समझा था; किन्तु -यह भी कोई बड़ी बात नहीं थी। चन्द्रगुप्त के पास सब से बड़ी बात थी चाणक्य की नीति-निपुणता और नन्दों की सबसे बड़ी कमजोरी-उनका प्रजा में अप्रिय होना। मगध-सम्राट नन्द अपने ही मित्रों और कुटुम्बियों को असन्तुष्ट किये हुए थे, जिस कारण उनके घर का भेद बाहर जा सकता था । और चाणक्य के गुप्तचर उनके घर में घुसे थे। नन्द राजे संस्कार विहीन, उद्दण्ड, क्रूर और लोभी प्रसिद्ध थे। इसलिए जनता पर प्रभाव रखने वाला समुदाय-उस युग के पढ़े लिखे और जनता में प्रतिष्ठित लोग, नन्द राजात्रों के विरुद्ध थे—वे सभी चन्द्रगुप्त से सहानुभूति रखते थे। इस कारण मगध साम्राज्य की सेना-नन्दों की सेना-पीछे हटती गयी और चन्द्रगुप्त मगध में घुसता चला गया। पर अब चन्द्रगुप्त का सामना नन्द राजात्रों से नहीं, मगध-साम्राज्य के प्रधान मन्त्री ब्राह्मण राक्षस से भी था, जिसके बड़ों ने पतित नन्दों को सिंहासन पर बैठाया था। राक्षस अपूर्व प्रतिभावान् राजनीतिज्ञ था। राजनीति में उसके हाथ सवे थे । उसने चन्द्रगुप्त के सहायक राजाश्रों में फूट डलवा कर उन्हें आपस में ही लड़वा देने का प्रयत्न किया। पर चन्द्रगुप्त का सहायक चाणक्य थाअपने नीति-ज्ञान द्वारा भविष्य द्रष्टा, जिसे सम्पूर्ण सामाजिक स्थिति और राजनीति का ज्ञान था। चाणक्य ने अपनी कूटनीति-निपुणता द्वारा राक्षस की नीति को बेकार कर दिया। मगध में राक्षस ने चन्द्रगुप्त की हत्या का

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