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लिये संघर्ष हुश्रा; पर सुषीय बड़ा होकर भी लोकप्रिय नहीं था । साम्राज्य के मन्त्रियों का भी समर्थन उसे प्राप्त नहीं था। इस कारण उसका अन्त कैसे हुश्रा, हसका वृत्तान्त भी शेष नहीं रहा । अशोक ने २७२ ई० पू० में मगध साम्राज्य पर अधिकार किया और साम्राज्य की अव्यवस्थात्रों को शान्तकर २६८ ई० पू० में अपना राज्याभिषेक करवाया। ___ अशोक असाधारण प्रतिभा का असाधारण सम्राट् था। उस जैसा राजा संसार में न कभी पहले हुअा था और न उसके बाद में । ऐसा लगता है कि प्रकृति ने अशोक को ढालकर साँचा तोड़ दिया । अशोक में उसके पितामह चन्द्रगुप्त के यौवन की वीरता और उसके वार्धक्य की विरक्ति दोनों थी। दोनों का विकसित रूप था। चन्द्रगुप्त ने अपने पराक्रम से मगध साम्राज्य कायम किया था । अशोक ने अपने पराक्रम और चरित्र से सुषीम को लांघ कर मगध साम्राज्य को प्राप्त किया। अाठ वर्ष तक उसने अपने विरोधियों को समाप्त किया। विरोधियों से निपट कर उसने अपनी क्षात्र परम्परा की ओर ध्यान दिया। वह परम्परा थी दिग्विजय की परम्परा। ____ कलिंग कभी मगध साम्राज्य के अन्दर था; पर देखते ही देखते वह स्वतन्त्र हो गया। सम्भवतः कलिंग उस समय स्वतन्त्र हुअा जा अशोक अपनी प्रान्तरिक राजनीति में व्यस्त था। इसीलिए उधर से छुट्टी पा कर उसने कलिंग की ओर ध्यान दिया। अशोक ने कलिंग पर आक्रमण कर दिया। कलिंग की भी सैन्य-शक्ति प्रबल थी। उनमें असाधारण स्वदेश प्रेम था। उन्होंने मगध से डट कर मोर्चा लिया। भीषण युद्ध हुश्रा । कलिंग फिर भी न झुका । सम्राट अशोक कुपित हो उठा। संग्राम और भी भीषण हुअा । लाशों से धरती पट गयी। डेढ़ लाख सैनिक पकड़े गये, एक लाख मारे गये और इससे कहीं ज्यादा युद्ध से उत्पन्न रोगों के शिकार हुए। करीब करीब सारा कलिंग सम्राट अशोक की तलवार के नीचे आ गया।