Book Title: Magadh
Author(s): Baijnath Sinh
Publisher: Jain Sanskruti Sanshodhan Mandal

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Page 68
________________ ( ६१ ) ५. धातुकथा, ६. यमक, और ७. पठ्ठान । श्रभिधभ्म का विषय यह बताना है कि व्यक्ति रूप, वेदना, संज्ञा, संस्कार और विज्ञान रूपी पांच स्कन्धों की समष्टि के अलावा और कुछ नहीं है । सभी स्कन्ध अनित्य, अनात्म और • दुःख हैं । इनमें अपनापन खोजना दुःख का ही कारण हो सकता है । अभिधम्मपिटक में सभी स्कन्धों का विश्लेषण करके विषय को स्पष्ट किया गया है; पर इन सब में मूल वस्तु सुत्तन्त से ही ली गयी है । सुतन्त में उदाहरण दे देकर जन-साधारण की समझ में आनेवाली भाषा में समझाया गया है । पर अभिधम्म में उदाहरणों की सहायता नहीं ली गयी है, इसकी भाषा भी कठिन और पंडितों की समझ में आने लायक है । कहीं प्रश्न-उत्तर की शैली है और कहीं विषय की सूक्ष्मता को देखते हुए और उसकों स्पष्ट करते हुए यमक शैली का भी उपयोग किया गया है । कहने का तात्पर्य यह कि अभिधम्मपिटक शुष्क और गम्भीर ग्रन्थ है । पर यदि श्रद्धापूर्वक उसका अभ्यास किया जाय, तो सम्पूर्ण बौद्ध तत्व दर्शन उसी से स्पष्ट हो जायँगे । भारत की प्राचीन राष्ट्रभाषा – पालि --- जैन श्रागम और बौद्ध त्रिपिटक मगध का प्राचीन साहित्य है । इस प्राचीन मागधी साहित्य में महाभारत काल से लेकर ईसा की पहली शताब्दी तक की बहुत कुछ चिन्ताधारा संग्रहीत है । यह नहीं कि इस काल में संस्कृत में रचना न हुई हो । उपनिषदों की रचना, सूत्रों की रचना और अर्थशास्त्र की रचना इसी काल में हुई । पर बिम्बिसार से लेकर अन्तिम मौर्य तक पालि राजकाज की भी भाषा थी । प्रधान रूप से पालि में ही अशोक के धर्मलेख सर्वत्र मिलते हैं। इससे सिद्ध है कि पालि उस काल की राजकाज की भाषा थी । अर्थात् मागधी जिन और बुद्ध के कंठ से निकलकर सम्राट के कंठ की वाणी बनी, अनुशासनों की भी भाषा बनी ।

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