Book Title: Jyotishsara Prakrit
Author(s): Bhagwandas Jain
Publisher: Bhagwandas Jain
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हिन्दी भाषाटीका समेतः
तिथि द्वारशुभाशुभ तिथि कहते हैंपक्खे पडिवा सिद्ध, बीया सिट्ठी तीयाइ खेमाय । चउत्थी य धणं खीया, पंचमी सेया असुह छट्ठी ॥७॥ सुहदाइया सत्तमि, अट्ठमि वाही नवमि या मिञ्च । दसमि ग्गारिसि लाहो, जीवो संसाइ बारसी या ॥ ८॥ सव्वसुहा तेरसिया, उज्जल अह किण्ह वजि चवदिसिया। पुनिम अमावसिया, गमणं परिहरिय सयकज ॥६॥
भावार्थ-पक्षमें एकम श्रेष्ठ, दूज श्रेष्ठ, तीज कल्याणकारी, चौथ धनका नाश कारक, पांचम श्रेष्ठ, छट्ठ अशुभ, सातम सुखदायक, आठम व्याधिकारक, नवम मृत्युदायक, दशम ग्यारस लाभ कारक, बारस प्राण संदेह कारक, तेरस सुखकारी, चौदस पूर्णिमा और अमावास्या गमन में और सभी शुभकार्यों में वर्जनीय हैं । ये कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों पक्ष के तिथियों का फल जानना ।। ७-८-६॥ तिथि के नामनंदाइ छट्टि गारिसि, भदा बिय सत्तमि य बारिसिया। तिय अट्ठमि तेरसि जया, रित्ता चउ नवमि चवदिसिया॥१० पंचमि दसमि य पुन्निम, पुन्ना पण नाम जोग अजोग। तिहि सुद्धी सवि सुद्ध', भणिया विबुहाइ जोइसियं ॥ ११ ॥ भावार्थ-एकम छट्ट और ग्यारस नंदा तिथि है, दूज सातम

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