Book Title: Jyotishsara Prakrit
Author(s): Bhagwandas Jain
Publisher: Bhagwandas Jain

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Page 81
________________ हिन्दी भाषा-टीका समेतः। . तिथि कालपाश-- पुव्वे पच्छिम नंदा, अगने वायव्व कूण भद्दाए । उत्तरि दक्खणि जाया, नेरय ईसाण रित्ताए ॥२१॥ पुना नग आगासे, एएहि कालपास तिहि जुत्ता। कालो समुह पासं, कज वजोइ गमणाई ॥ २२० ॥ भावार्थ-पूर्व पश्चिम दिशा में नंदा तिथि को, आग्नेय वायव्य कोण में भद्रा तिथि को, उत्तर दक्षिण दिशा में जया तिथि को, नैर्शत ईशान कोण में, रिक्ता तिथि को, आकाश और पाताल में पूर्णा तिथि को कालपाश हैं ; संमुख कालपाश हो तो, गमनादि कार्य नहीं करना ॥ २१६२२० ।। वारकालपाश--- वारेहि रवि उत्तरि, सोमे वाए हि भूम पच्छिमयं। बुध नेरय गुरु दक्खणि, अम्गी भिगु पुष्वि सनि वज ॥२२१।। भावार्थ--रविवार को उत्तर दिशा में, सोमवार को वायव्य कोण में, मंगलवार को पश्चिम दिशा में, बुधवार को नेत कोण में, गुरुवार को दक्षिण दिशा में, शुक्रवार को अग्निकोण में और शनिवार को पूर्व दिशा में कालपाश है, वह गमनादि कार्य में वर्जनीय है ॥ २२१ ॥ छींक विचारपुल्वे हि छोया मरणं, अग्गी दुइदेई दक्खणे कलहं । नेरय किलेस किरइ, भमवु अही छीया ए ॥ २२२ ॥

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