Book Title: Jyotishsara Prakrit
Author(s): Bhagwandas Jain
Publisher: Bhagwandas Jain

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Page 27
________________ हिन्दी भाषाटीका समेतः। होती है और दूसरी उससे छ? वारकी तीसरी उससे भी छट्टे वारकी इत्यादि समज लेना; रात्रिमें आद्य होरा तो अपने वारको ही होती है और दूसरी उससे पांचवें पांचवें वारकी होती है। विशेष यंत्र स्थापनासे देखो दिन होरा यंत्र रवि सोम मंगल बुध गुरु शुक्र शनि १ उ० अ० रो० ला० श. २ च. का० उ० ३ ला० का० ४ अ० अ० अ० ला० ५ का० उ० अ० रा० ला. rrm ww v " . च. का० उ० अ० ला० का. ८ उ० ६ च० १० ला० ११ अ० १२ का० अ० का० शु० रो० उ० रो० उ० अ० रो० ला. शु० च० का० उ० अ० रा. ला० शु० च० का० उ० अ० रो० ला० शु० च० रात्री होरा यंत्र। मंगल बुध गुरु शुक्र शनि का० उ० अ० रो. ला. ला० शु० च. का० . उ० उ० अ० रो० ला० शु० रवि १ शु० २ ० ३ च० सोम च० रो० का०

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