Book Title: Jyotishsara Prakrit
Author(s): Bhagwandas Jain
Publisher: Bhagwandas Jain

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Page 23
________________ हिन्दी भाषाका समेत: ' रवि हो तो सातम और दशम, तीसरा पाद तुलाका रवि हो तो आठम और दशम, चौथ पाद वृश्चिक का रवि हो तो नवमी और दशमी । धनादि तीजा चतुष्क के प्रथम पाद धनका रवि हो तो इग्यारस और पूनम, दूसरा पाद मकर का रवि हो तो बारस और पूनम, तीसरा पाद कुंभका रवि हो तो तेरस और पूनम, चौथा पाद मीनका रवि हो तो चौदश और पूनम ये सभी क्रूर तिथि हैं ।। १७ से २२ । * पाठान्तरे क्रूर तिथि यंत्र रचना पंचमि दसमि य पुन्निम, वज्जिय तिहि वार बार संकेति । मेबाई पडिवाई, कूरा वज्जे सुह कज्जे ॥ १ ॥ पंचमि चउभागे हि, ठवियं संकंति मेस अरकाई । तह दसम सिंह विच्छिय, पुन्निम चउभाग धण मीणं ॥ २ भावार्थ- पांचम दशम और पूनम को छोडकर बाकी की बारह तिथि अनुक्रम से बारह संक्रान्तिमें स्थापन करो और मेष से कर्क तक इन चार में पांचम, सिहसे वृश्चिक तक इन चारमें दशम, और धनसे मीन तक इन चारमें पूनम स्थापन करो देखो यंत्र में। ये सभी क्रूर तिथि है वे सभी शुभकार्यों में वर्जनीय है । १-२ | मेषादि र तिथि यंत्र स्थापना ६- १०. धन ܘ मेष नोट---8 प्रारंभ सिद्धिमें प्रथम विमर्श के श्लो० ८ में कहा है कि मेषादि राशि क्रूर वारमें लगी हो तो उक्त तिथि क्रूर होती है । १-५ सिंह ११-१५

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