Book Title: Jyotishsara Prakrit
Author(s): Bhagwandas Jain
Publisher: Bhagwandas Jain

View full book text
Previous | Next

Page 25
________________ हिन्दी भाषाटीका समेतः । कार्यमें चंद्रमाका बल देखना। रात्रिके विषे वार का दोष नहीं है और मंगलवार शनिवार को तो विशेष करके दोष नहीं । वारका प्रारम्भसंकन्ति कुंभविच्छी, मीने मेने हि संभवारे हिं। करके तुल धन वसह, वार निसि मभि लग्गे : ॥२६॥ सूरे उग्गे वारं, कन्ना मकरे हि मिथुन सिंह य। संकंति वार तिहुपरी, लग्गं तिय जोइस हीरं ।। २७॥ भावार्थ-कुंभ मीन मेष और वृश्चिक की संक्रांतिमें सन्ध्या समय से वार लगे, कर्क तुला धन और वृष की संक्रांतिमें अर्द्धरात्रि से वार लगे, और कन्या मकर मिथुन और सिंह की सक्रांतिमें दिन उदय से वार लगे॥ सातवारमें शुभ चौघडीया कहते है-- सग वारे चउघडिया, उत्तम आइश्व एग बिय सडे। ससि इग पण अट्ट हि, मंगल चउ सत्त अड लहियं ।। २८ ।। बुद्धोइ तीय सड अड, सुरगुरु बीओइ पंच सत्तमियं । भिगु इगु चउ सड अट्टम, ती पण सग अट्ट रविपुत्तो॥२६ ।। भावार्थ--रविवार को पहिला दूजा और छट्ठा, सोमावारको पहिला पांचवां और आठवाँ, मंगलवार को चौथा सातवां और आठवा, बुधवारको तीजा छट्ठा और आठवाँ, गुरुवारको दूजा पाँचा और सातवाँ, शुक वारको पहिला चौथा छट्टा और आठवाँ शनिवारको तीजा पाँचवाँ सातवाँ और आठवाँ चौघडीया शुभ है ।।.

Loading...

Page Navigation
1 ... 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98