Book Title: Jyotishsara Prakrit
Author(s): Bhagwandas Jain
Publisher: Bhagwandas Jain

View full book text
Previous | Next

Page 54
________________ ज्योतिषसारः। ईसाणे बुध मन्दों, वारं विदिस य सूले हि॥ १२६ ॥ भावार्थ-सोमवार और गुरुवार को आग्नेय कोणमें, शुक्र वार और रविवारको नैऋत कोणमें,मङ्गलवार को वायव्य कोणमें, बुधवार और शनिवार को ईशान कोणमें शूल है ॥ १२६ ॥ दिशाशूल परिहार-.. रवि चंदण ससि दहियं, माटो य भोमे हि बुध नवणीयं । गुरु लोट भिगु तिल्ल, सनि खल चलएहिं कल्लाणं ॥१३०॥ भावार्थ- रविवार को चंदन, सोमवार को दहि, मंगलवार को मट्टी, बुधवार को घी, गुरुवार को आटा, शुक्रवार को तेल और शनिवार को खल, इनका तिलक कर गमन करे तो सर्वत्र मंगलिक होता है ॥ १३ ॥ प्रकारान्तरे भाषामेंरवि तंबोल मयंकह दप्पण, धाणा चावउ पुहवी नंदण । बुध गुल खाउं सुरगुरु राई, सुक्क करबउ जिमरे भाई ॥ जउ सनिवार विडंगह चावई,पर दल जीपीनइ घर आवइ॥१३॥ भावार्थ- रविवार को तंबोल चावकर, सोमवार को दर्पण देखकर, मंगलवार को धनिया चावकर, बुधवार को गुल (गुड) खाकर, गुरुवार को राई चावकर, शुक्रवार को करब (धान्य विशेष) खाकर और शनिवार को भावडिंग चावकर गमन करें तो शत्रु को जीत कर सुखसे घरपर आवे ॥१३१ ।। रवि वासामीनाइ तीय पुग्वे, मिहुणो तीयाई दक्षिण वासो। .

Loading...

Page Navigation
1 ... 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98