Book Title: Jyotishsara Prakrit
Author(s): Bhagwandas Jain
Publisher: Bhagwandas Jain

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Page 24
________________ ज्योतिषसारः। . वृष ... २५ कन्या ... ७-१० मकर ... ११-१५ मिथुन ... ३-५ तुला ... ८-१० कुंभ ... १३-१५ कर्क ... ४-५ वृश्चिक ... -१० मीन .... १४-१५ अथ वार द्वार॥ सात वार के नाम वार-रवि सोम मंगल, बुध गुरु सुक्केइ थावर प्पमार्ण । सोमा-ससि बुध गुरु भिगु, कूरा-रवि मंद भोमाई ।। २३ ॥ भावार्थ-रविवार, सोमवार, मंगल वार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार ये सात वार है, इसमें सोम, बुध, गुरु, और शुक्र, ये चार वार सौम्य (शुभ ) है, रवि, मंगल और शनि ये तीन वार कर ( अशुभ ) है ।। २३ ॥ कौन कार्यमें कौन ग्रह सबलहै-- गमणं भिगु बुध नाणं, निवमिलणं सूर गुरु य वीवाहे। शनि थाधनू युद्ध भौमे, ससिबल सव्वे हि कज्जे हिं ॥२४॥ न हु वारदोस रयणी, विसेस भूमेहि मंदवारे हि । 'सनि सुत्त भूम भुत्तं,' सुहदाई सयल कज्जे हि ॥ २५ ॥ भावाथ-गमन ( प्रयाण ) में शुक्रका बल, विद्याभ्यासमें बुधका बल, राजाआदिकी मुलाकात में सूर्यका बल, विवाह में गुरुका बल, दीक्षामें शनिका बल, युद्ध में मंगलका बल, और सर्व

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