Book Title: Jyotishsara Prakrit
Author(s): Bhagwandas Jain
Publisher: Bhagwandas Jain

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Page 90
________________ ७४ ज्योतिषसारः। . भावार्थ-सूर्य एक राशि पर एक मास रहता है, चन्द्रमा सवा दो दिन, मंगल डेढ मास, बुध अठारह दिन, गुरु तेरह मास शुक्र पञ्चीस दिन, शनि तीस मास और राहु केतु अठारह मास एक राशि पर रहते हैं ॥२४७-२४८ ॥ पुनः ग्रन्थान्तरे-. . इग रासि मास तिय गह, सूरं बुध सुक्क दवड्ड मङ्गलयं। सनि तिस तेर गुरु तम, अढारह ससि सवा दो दिवसं ॥२४८॥ । भावार्थ-एक राशि पर सूर्य बुध और शुक्र ये तीनों ग्रह एक एक मास रहते हैं, मङ्गल डेढ मास, शनि ३० मास, गुरु १३ मास, राहु केतु १८ मास और चन्द्रमा सवा दो दिन एक राशि पर रहता है ॥ २४६ ॥ नवग्रहके पाये (नवमांश) का प्रमाणरविघडिय वीस दिन तिय, इग पाय सोम पन घडियाई। . भूमो इग पय पण दिण, बुद्धो दिण बीय इग पाए ॥ २५० ॥ गुरु इग पाय पमाणं, दोहा तेयाल घडी वीसाई। वीस घडी दिण तिय भिगु, मन्दो दिण एग सउ पाए ॥ २५१ ॥ गहो इ केतु उभयं, वासर सट्ठीयए पाएहिं। भणियं जोइस मज्झे, नवग्गह पाए पमाणमि ॥ २५२ ॥ ____ भावार्थ-सूर्य के प्रत्येक पाये ( नवमांश ) ३ दिन और २० घडीके है, चन्द्रमाके १५ घडीके, मङ्गलके ५दिनके, बुधके २ दिनके, गुरुके ४३ दिन और २० घडीके, शुक्रके ३ दिन और २० घडीके, शनिके १०० दिनके और राहु केतुका प्रत्येक नवांश ६० दिनके हैं।

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