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हिन्दी भाषा टीका समेतः 1
गिहबार पमुहार्य, जे कीरह तहा असुहाय ॥ १०१ ॥ भावार्थ वृश्चिक धन और मकर राशिको पूर्व दिशामें, कुम्भ मीन और मेष राशि को दक्षिण दिशामें, वृष मिथुन और कर्क राशि को पश्चिम दिशामें, सिंह कन्या और तुला राशिको उत्तर दिशामें राहु रहता है। संमुख राहु हो तो देशाटन नहीं करना विग्रह और मत्युका भय रहता है और गृहद्वार आदि कराने से अशुभ फलदायक होता है ॥ १०० । १०१ ॥
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अथ वार राहु फल
अह वारे हिं राहो, नेरय आइश्च सोम उत्तरयं 1
अगनेय कूण मंगल, पच्छिम दिसिएहि बुद्धेहिं ॥ १०२ ॥ वाइव ईसाणं गुरु, दक्खणि सुक्केइ पुव्यदिसि मंदो । ठवियं दाहिणि पुट्ठे, कीरइ गमणं व फलदाई ॥ १०३ ॥ भावार्थ-रविवार को नैर्ऋत कोणमें, सोमवार को उत्तर दिशामें, मंगलवार को आग्नेय कोणमें, बुधवार को पश्चिम दिशा मैं, गुरुवार को ईसान कोणमें, शुक्रवार को दक्षिण दिशामें और शनिवार को पुर्व दिशामें राहु रहता है। उसको पूंठे और दक्षिण तरफ रखकर गमन करना शुभ फल दायक है ।। १०२ । १०३ ॥ अर्द्ध प्रहरी राहु फल --
पुव्वे वाइव दक्खणि, ईसाणे पच्छिमे य अग्गी हि ।
उत्तर नेरय राहू, वसए अधपुहर एणविहं ॥ १०४ ॥
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भावार्थ- पूर्व वायव्य दक्षिण ईशान पश्चिम अग्नि उत्तर और नैर्ऋत इस अनुक्रमसे आठों ही दिशा में अहोरात्र में दो बार
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