Book Title: Aptavani Shreni 05
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 10
________________ आप्तवाणियों के हिन्दी अनुवाद के लिए परम पूज्य दादाश्री की भावना 'ये आप्तवाणियाँ एक से आठ छप गई हैं। दूसरी चौदह तक तैयार होनेवाली हैं, चौदह भाग। ये आप्तवाणियाँ हिन्दी में छप जाएँ तो सारे हिन्दुस्तान में फैल जाएँ।' - दादाश्री परम पूज्य दादा भगवान (दादाश्री) के श्रीमुख से आज से पचीस साल पहले निकली इस भावना फलित होने की यह शुरूआत है और आज आप्तवाणी-१ का हिन्दी अनुवाद आपके हाथों में है। भविष्य में और भी आप्तवाणीओं तथा ग्रंथो का हिन्दी अनुवाद उपलब्ध होगा उसी भावना के साथ जय सच्चिदानंद। पाठकों से... 'आप्तवाणी' में मुद्रित पाठ्यसामग्री मूलतः गुजराती 'आप्तवाणी' | श्रेणी-५ का हिन्दी रुपांतर है। इस 'आप्तवाणी' में 'आत्मा' शब्द को संस्कृत और गुजराती भाषा की तरह पुल्लिंग में प्रयोग किया गया है। जहाँ जहाँ पर चंदूलाल नाम का प्रयोग किया गया है, वहाँ वहाँ पर पाठक स्वयं का नाम समझकर पठन करें। 'आप्तवाणी' में अगर कोई बात आप समझ न पायें तो प्रत्यक्ष सत्संग में पधार कर समाधान प्राप्त करें।

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