Book Title: Jain Dharm Ki Kahaniya Part 15 Author(s): Rameshchandra Jain Publisher: Akhil Bharatiya Jain Yuva Federation View full book textPage 6
________________ साहित्य प्रकाशन के अन्तर्गत् जैनधर्म की कहानियाँ भाग १ से २० तक एवं लघु जिनवाणी संग्रह : अनुपम संग्रह, चौबीस तीर्थंकर महापुराण (हिन्दीगुजराती), पाहुड़ दोहा-भव्यामृत शतक-आत्मसाधना सूत्र, विराग सरिता तथा लघुतत्त्वस्फोट, अपराध क्षणभर का (कॉमिक्स), भक्तामर प्रवचन (गुजराती) - इसप्रकार २८ पुष्पों में लगभग ७ लाख से अधिक प्रतियाँ प्रकाशित होकर पूरे विश्व में धार्मिक संस्कार सिंचन का कार्य कर रही हैं। जैनधर्म की कहानियाँ भाग १५ के प्रस्तुत संस्करण में श्रीमती समता जैन, कानपुर द्वारा संकलित ५ कहानियाँ १ प्रश्नोत्तरी ३ बालसभाएँ एवं २५ प्रेरक प्रसंगों को प्रकाशित किया जा रहा है। ये समस्त रचनाएँ पुराणों एवं एतिहासिक महापुरुषों के जीवन के आधार से लिखी गईं हैं। इनमें कथाओं के साथ-साथ सिद्धान्तों को भी हार में मोतियों की भाँति जड़ा है। इसका सम्पादन पण्डित रमेशचंद जैन शास्त्री, जयपुर ने किया है। अतः हम इन सभी के आभारी हैं। आशा है इसका स्वाध्याय कर पाठकगण अवश्य ही बोध प्राप्त कर सन्मार्ग पर चलकर अपना जीवन सफल करेंगे। साहित्य प्रकाशन फण्ड, आजीवन ग्रन्थमाला शिरोमणि संरक्षक, पर. संरक्षक एवं संरक्षक सदस्यों के रूप में जिन दातार महानुभावों का सहयोग मिला है, हम उन सबका भी हार्दिक आभार प्रकट करते हैं, आशा करते हैं कि भविष्य में भी सभी इसी प्रकार सहयोग प्रदान करते रहेंगे। विनीतः मोतीलाल जैन प्रेमचन्द जैन अध्यक्ष साहित्य प्रकाशन प्रमुख आवश्यक सूचना पुस्तक प्राप्ति अथवा सहयोग हेतु राशि ड्राफ्ट द्वारा "अखिल भारतीय जैन युवा फैडरेशन, खैरागढ़" के नाम से भेजें। हमारा बैंक खाता स्टेट बैंक आफ इण्डिया की खैरागढ़ शाखा में है। (4)Page Navigation
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