Book Title: Apstambparibhasha Sutram
Author(s): A Mahadev Shastri
Publisher: Government of Mysore

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पृष्ठे. पं. एतत्स्थाने पाठयम् . te ४७ १८ तयोर्भेषमध्ये तयोरुपदेशः एतयोर्भेषे श्री तप्रायश्चित्तार्थ कर्ममध्ये तु " २१ वित निवृ त्रिवृत्रिगुणा' इति' त्रिगुणा' त्रिवृत् ४९ ५ निर्देशः निर्देशः कर्मवचनः " १० पूर्ण....खः मानः पूर्वतो दृश्यते पूर्वाह्नो चेत् पूर्वाह्नो " २०,२१ सन्धि.... ध्ये सन्धौ यथा प्रयोगसमाप्तिः ५१ ९ षो तस्यां षो ५३ २० यथा याथाश्रुत्या ५६ १८ विधौ विधौ विधानात् ५७ ३ त्वाद त्वाचा यज्ञः इति' यज्ञः' इति यज्ञमेवा यज्ञेनैवा अपूर्व हो....यं होमविशेषाणां नामधेयं ६४ ४ . संकुच्य संकोचो यो अद योऽद श्रावयतीति । श्रावयेति । प्रत्याश्रुतं अस्तु श्रौषडिति । दिषु ग्रह दिग्रह यामादि ७१ ७ कर्णा कणा शब्देगा शब्देना ६५ १ यामे For Private and Personal Use Only

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