Book Title: Apstambparibhasha Sutram
Author(s): A Mahadev Shastri
Publisher: Government of Mysore

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पृष्ठे. و ا एतत्स्थाने. पाठयम्. - - م م भेदे तु ". १२ निवृ त्, चातु....ख्येया चातुस्स्वर्था व्याख्येया भेदेन निर्व क्षये क्षयाः ۸ م و मिन्न........रोधे असन्निपातिनामपि मन्त्राल विरोधे १२ स्वता स्वत्या विहि व्यवहि साद वप ७,१३ स्वता स्वत्या प्ताश्विनग्रह्णार्थ प्ताश्चानेके मन्त्राः तत्र भवि पूर्व भवि मन्तो न मन्तः प्वपि प्वपीयं " १३ यावत यावत् ४२ १ र्यदनयर्चा पदयर्चा चया चयस्या दिना दीनां मर्मनं मर्शनं रुद्रोपकारक एतानि " २० " २३ ईव देवता ४५ ६ ४७ १२ रौद्रार्थ न तु विशे रौद्राद्यर्थ न तं अविशे For Private and Personal Use Only

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