Book Title: Apstambparibhasha Sutram
Author(s): A Mahadev Shastri
Publisher: Government of Mysore
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हरिः ओम्.
आपस्तम्बमहर्षिप्रणीतं परि आषा सू त्र म्.
प्रथमः खण्डः. यज्ञं व्याख्यास्यामः ॥ १ ॥ स त्रयाणां वर्णानां ब्राह्मणराजन्ययोर्वैश्यस्य च ॥ २॥ स त्रिमिदर्विधीयत ऋग्वेदयजुर्वेदसामवेदैः ॥ ३॥ ऋग्वेदयतुर्वेदाभ्यां दर्शपूर्णमासौ॥४॥ यजुर्वेदेनामिहोत्रम् ॥ ५॥ सर्वैरमिष्टोमः ॥ ६ ॥ उच्चैर् ऋग्वेदसामवेदाभ्यां क्रियते ॥ ७॥ उपांशु यजुर्वेदेन॥ ८॥ अन्यत्राथुतप्रत्याश्रुतप्रवरसंवादसंप्रेषैश्च ॥ ९ ॥ अन्तरा सामिधेनीष्वनूच्यम् ॥ १० ॥ मन्द्रेण प्रागाज्यभागाभ्याम् ॥ ११ ॥ प्रातस्सवने च ॥ १२॥ मध्यमेन प्राक्स्विष्टकृतः ॥ १३ ॥ माध्यन्दिने च ॥ १४ ॥ क्रुष्टेन शेषे॥ १५॥ तृतीयसवने च ॥ १६ ॥ वाक्संद्रवश्च तद्वत् - ॥ १७॥ ऋग्वेदेन होता करोति ॥ १८॥ यजुर्वेदेनाध्वयुः ॥ १९॥ सामवेदेनोदाता ॥ २०॥ सर्वैर्ब्रह्मा ॥ २१ ॥ वचनाद्विप्रतिषेधाद्वार-न्यः कुर्यात् ॥ २२॥ ब्राह्मणानामात्विज्यम् ॥ २३ ॥ सर्वक्रतूनाममयस्सकदाहिताः ॥ २४ ॥ सुहोतीति चोद्यमाने सर्पिराज्यं प्रतीयात् ॥ २५ ॥ अध्वर्यु करिम् ॥ २६ ॥ जुहूं पात्रम् ॥ २७॥ व्यापृतायां खुवेण
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