Book Title: Apstambparibhasha Sutram
Author(s): A Mahadev Shastri
Publisher: Government of Mysore

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Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ २८ ॥ आहवनीये प्रदानम् ॥ २९ ॥ आधानप्रभृति यावज्जीवं पात्राणि धार्यन्ते ॥ ३०॥ तेषां प्रतितन्त्रं संस्कारः ॥ ३१॥ मन्त्रब्राह्मणे यज्ञस्य प्रमाणम् ॥ ३२॥ मन्त्रब्राह्मणयोर्वेदनामधेयम् ॥ ३३ ॥ कर्मचोदना ब्राह्मणानि ॥३४॥ ब्राह्मणशेषोर-र्थवादः ॥ ३५ ॥ निन्दा प्रशंसा परकृतिः पुराकल्पश्च ॥ ३६॥ अतोन्ये मन्त्राः ॥ ३७॥ अनानातास्त्वमन्त्राः यथा प्रवरोहनामधेयग्रहणानीति ॥ ३८ ॥ रथशब्दो दुन्दुभिशब्दश्च ॥ ३९ ॥ स्वाध्याये:-नध्यायो मन्त्राणां न कर्मण्यर्थान्तरत्वात् ॥४०॥ एकमन्त्राणि कर्माणि ॥४१॥ अपि संख्यायुक्तचेष्टापृथक्त्वनिर्वर्तीनि ॥४२॥ कण्डूयनस्वमनदीतरणाववर्षणामध्यप्रतिमन्त्रणेषु च तद्वत्कालाव्यवेतेषु ॥ ४३ ॥ प्रयाणे त्वार्थनिवृत्तेः ॥ ४४ ॥ असन्निपातिकर्मसु च तद्वत् ॥ ४५॥ हविष्कृदध्रिगुपुरोनुवाक्यामनोतस्यावृत्तिभिन्नकालेषु ॥ ४६ ॥ वचनादेकं कर्म बहुमन्त्रम् - ॥४७॥ द्वितीयः खण्डः. मन्त्रान्तैः कर्मादीनत्सन्निपातयेत् ॥ १॥ आधारे धारायां चादिसंयोगः ॥२॥ आदिप्रदिष्टा मन्त्राः ॥ ३ ॥ उत्तरस्यादिना पूर्वस्यावसानं विन्द्यात् ॥ ४॥ होत्रा याजमानेपु समुच्चयः॥ ५॥ विकल्पो याज्यानुवाक्यासु ॥६॥ संख्यासु च तद्वत् ॥ ७॥ क्रयपरिक्रयसंस्कारेषु द्रव्यसमु For Private and Personal Use Only

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