Book Title: Vardhaman Jivan kosha Part 2
Author(s): Mohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
Publisher: Jain Darshan Prakashan

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Page 311
________________ २६४ • २ मंडित के माता-पिता के नाम : (क) धणदेव - विजय- देवाइ नंदणो जयइ मंडिओ ट्ठो सीईवरसाऊ मोरियदेसुब्भवो भयवं । — धर्मोप० पृ० २२७ मंडित के माता का नाम विजया, पिता का नाम धनदेव था । जन्मस्थान मौर्यसन्नि वेश था। तिरासी वर्ष की आयु थी । वर्धमान जीवन - कोश (ख) धनदेवश्च मौर्यश्च मौर्याख्ये सन्निवेशने । द्वावभूतां द्विजन्मानौ पत्न्यां विजयदेवायां धनदेवस्य नन्दनः । मंडिकोऽभूत्तत्र जाते .४ मंडित पुत्र की आयु : मौर्यग्राम में धनदेव और मौर्य - दो विप्र थे । जो परस्पर मासी के पुत्र - भाई थे । उनमें धनदेव के विजय नाम की पत्नी से मंडिक नामक एक पुत्र था । अस्तु मेंडिक के जन्म होते ही धनदेव मृत्यु को प्राप्त हुआ । . ३ मंडित गणधर की श्रमण-पर्याय : थेरेणं मंडियपुत्ते तीसं वासाईं सामण्णपरियायं पाउणित्ता सिद्धे बुद्धे मुत्ते अंतगडे परिणिवुडे दुखणे | - सम० सम० ३० / सू १ स्थविर मंडित पुत्र तीस वर्ष की श्रमण- पर्याय का पालन कर सिद्ध हुए यावत् सर्वदुःख से रहित हुए । मातृष्वस्त्र यकौ मिथः || ५२|| धनदेवो व्यपद्यतः ॥ ५३॥ - त्रिशलाका० पर्व १० / सर्ग ५ थेरेणं मंडियपुत्ते तेसीइं वासाईं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जाव प्पहीणे । -सम० सम ८३ टीका - तथा स्थविरो मंडितपुत्रो - महावीरस्य षष्ठो गणधरः तस्य च व्यशीतिर्वर्षाणि सर्वायुः, कथं ? त्रिपंचाशद्गृहस्थपर्याये चतुर्दशछद्मस्थपर्याये षोडश केवलित्वे इत्येवं त्र्यशीतिरिति । .५ परिनिर्वाण के समय तप : स्थविर मंडितपुत्र भगवान के छट्ट गणधर थे। उनकी सर्वायु तेरासी वर्ष को थी — जिसमें त्रेपन वर्ष गृहस्थपर्याय, चतुर्दश वर्ष छद्मस्थ दीक्षापर्याय व सोलह वर्ष केवलिपर्याय थी । Jain Education International (क) मासं पाओवगया × × × । मंडितपुत्र के परिनिर्वाण के समय पादोपगमन संथारा एक मास का था । (ख) सब्वे एए समणस्स भगवओ महावीरस्स एक्कारसवि गणहरा दुबालसंगिणो चौदसपुव्विणो समत्त गणिपिडगधरा गयगिहे नगरे मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं काल गया जाव सव्वदुक्खप्पहीणा । -- कप्प० सू २०३ - आव० निगा ६५६ भगवान् महावीर के सभी गणधर - मंडितपुत्र गणधर द्वादशांगवेत्ता, चतुर्दशपूर्वो तथा समस्त गणिपिटक के धारक थे । राजगृह नगर में मासिक अनशनपूर्वक वे कालगत हुए, सर्वदुःख प्रहीण बने अर्थात् मुक्त हुए । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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