Book Title: Mahavira Vachanamruta
Author(s): Dhirajlal Shah, Rudradev Tripathi
Publisher: Jain Sahitya Prakashan Mandir

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Page 9
________________ श्री विनोबाजी से प्राप्त +1c4 माल यात्रा १५-५-६३ श्री धीरजलाल शाह, श्री 'वीर-वचनामृत' जो गुजराती मे छपा है, असका हीदी अनुवाद पाठको के ली पेश कीया जा रहा है, यह खुशी की बात है। ___ महावीर स्वामी के वचनो का संग्रह करनेवाली दो कीतावे श्रीसके पहीले प्रकाशीत हो चुकी है। अक श्री सतबालजी की 'साधक सहचरी', दूसरी श्री ऋषभदास राका ने प्रकाशीत की हुओ (पं० बेचरदास दोशी सम्पादित) 'महावीर वाणी' । __ 'वीर-वचनामृत' अन दोनो से अधिक व्यापक है। मेरी तो सूचना है को भारत के चुने हो दस-वीस दर्शन-ज्ञान-चरीत्रसंपन्न जैन वीद्वानो की अक समीती महावीर स्वामी के वचनो का सर्वमान्य सग्रह पेश करने के लि वीठानी चाहिये। अगर वैसा हो सका तो जैन और जैनेतर दोनो के लिओ अंक प्रामाणीक आधारग्रथ मील जायगा। असे ग्रथो मै मूल के साथ उसका संस्कृत रूपातर भी पेग करने से पाठको को सहलियत होती है। वीनोवा का जय जगत्

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