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रघुवंश
उनका स्वाभाविक धीरज जाता रहा, गला भर आया और वे डाढ़ मार कर रोने लगे। भूपतेरपि तयोः प्रवत्स्यतोर्नम्रयो रुपरि वाष्प बिंदवः। 11/4 दशरथ जी की आँखों से उन दोनों पर आँसू टपक पड़े।
अश्व 1. अश्व :-[अंश्+क्वन्] घोड़ा
पुनः पुनः सूत निषिद्धचापलं हरंतमश्वं रथरश्मिसंयताम्। 3/42 वह घोड़ा भी उनके रथ के पीछे बँधा हुआ, तुड़ाकर भागने का यत्न कर रहा है, जिसे इन्द्र का सारथी बार-बार संभालने का यत्न कर रहा है। अतोऽयमश्वः कपिलानुकारिणा पितुस्त्वदीयस्य मयासपहारितः। 3/50 जैसे कपिल मुनि ने तुम्हारे पुरखे सगर के घोड़े को हर लिया था, वैसे ही मैंने तुम्हारे पिता के इस घोड़े को हर लिया है। अमोच्य मश्वं यदि मन्यसे प्रभो ततः समाप्ते विधिनैव कर्मणि। 3/65 हे इन्द्र ! यदि आप घोड़े को नहीं देना चाहते हैं तो यही वरदान दीजिए कि मेरे पिता विधिपूर्वक यज्ञ को समाप्त करके। संग्रामस्तुमुलस्तस्य पाश्चात्त्यैरश्व साधनैः। 4/62 वहाँ पश्चिम देश के घुड़सवार राजाओं से रघु की घनघोर लड़ाई हुई। तेषां सदश्व भूयिष्ठास्तुंगा द्रविण राशयः। 4/70 उन राजाओं ने रघु को बहुत से घोड़े और बहुत सा धन दिया। ततो गौरी गुरुं शैलमाकरो हाश्व साधनः। 4/71 वहाँ से वे अपने घोड़ों की सेना लेकर हिमालय पहाड़ पर चढ़ गए। उत्थापितः संयति रेणुरश्वैः सान्द्रीकृतः स्यंदन वंश चक्रैः। 7/39 युद्ध-क्षेत्र में घोड़ों की टापों से जो धूल उठी, उसमें रथ के पहियों से उठी हुई धूल मिलकर और भी घनी हो गई। शस्त्रक्षता द्विपवीर जन्मा बालारुणोऽभूदुधिरप्रवाहः। 7/42 शस्त्रों से घायल घोड़ों, हाथियों और योद्धाओं के शरीर से निकला हुआ लहू प्रातः काल के सूर्य की लाली जैसा लगने लगा। तुरंगम स्कंधनिषण्ण देहं प्रत्याश्वसंतं रिपुमाचकांक्ष। 7/47
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