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जैन दर्शन और विज्ञान के अवस्थिति-बिंदु भिन्न हैं। धर्म के क्षेत्र में सत्य की खोज का उद्देश्य है-अस्तित्व और चेतना का विकास । विज्ञान के क्षेत्र में सत्य की खोज का उद्देश्य है-अस्तित्व और पदार्थ का विकास। विज्ञान ने जीवन-यात्रा के लिए उपयोगी अनेक तत्त्व खोजे हैं। खाद्य, चिकित्सा व सुविधा के क्षेत्र में पर्याप्त प्रगति हुई है। धर्म ने सुविधा देने वाला कोई तत्त्व नहीं खोजा, पर उसने चेतना के उन आयामों की खोज की जो सुविधा के अभाव में होने वाली असुविधा को सह सकें। अध्यात्म और विज्ञान द्वारा नियमों की खोज
भीतर की गहराइयों में गये बिना सच्चाई को जाना नहीं जा सकता। प्रत्येक देश और काल का अपना मूल्य होता है। आज का देश और काल विज्ञान से बहुत अधिक प्रभावित है। आज का प्रबुद्ध आदमी विज्ञान की भाषा समझता है। बहुत सहजता से समझ लेता है। वह पुरानी भाषा को इतनी सहजता से नहीं पकड़ पाता। अध्यात्म की भाषा पुरानी हो गई, इसलिए उसे पकड़ने में कठिनाई हो रही है। अध्यात्म स्वयं विज्ञान है। विज्ञान और अध्यात्म को बांटा नहीं जा सकता। उनके बीच में कोई भेदरेखा नहीं खींची जा सकती। किन्तु आज चलने वाली धरा हजार वर्षों के बाद अनबूझ पहेली बन जाती है।
वर्तमान की धारा लोगों के लिए सुलभ होती है। आज यही हुआ है। आज अध्यात्म को हम भूल गए और विज्ञान हमारी पकड़ में आ गया। गहरे में उत्तर कर देखें तो अध्यात्म और विज्ञान में अन्तर नहीं लगता। दोनों की प्रकृति एक है। दोनों नियमों के आधार पर चलते हैं।
अध्यात्म ने चेतना के नियम खोजे और विज्ञान पदार्थ के नियमों की खोज कर रहा है। दोनों ने नियमों की खोज की है। जहां नियम की खोज नहीं होती, वहां सच्चाई का पता नहीं चलता।
यह सारा जगत् नियमों के आधार पर चल रहा है। हम नियमों को नहीं जानते, इसलिए वे हमारे लिए चमत्कार बन जाते हैं। इस दुनिया में चमत्कार जैसी कोई बात नहीं होती। जो चमत्कार माने जाते हैं, वे सारे के सारे इस जगत् के नियम हैं। जो नियम से अनभिज्ञ हैं, उसके लिए चमत्कार और जो नियम का ज्ञाता है उसके लिए चमत्कार समाप्त हो जाते हैं।
जब पहली बार आग जली, तब बड़ा चमत्कार लगा। लोगों ने सोचा, यह क्या है? यह कहां से आ गई? उस समय कोई उसे समझ नहीं सका। जैसे-जैसे आग के नियम ज्ञात होते गए, आग जलना कोई चमत्कार नहीं रहा।
एक दिन जब रेलें पटरियों पर दौड़ने लगी, तब लोगों को बड़ा चमत्कार लगा। अनेक ग्रामीणों ने उसे देवता मान पूजा की । अनेक लोग डर के मारे भाग
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